सोमवार, 28 सितंबर 2020

डिप्रेशन से निपटने के लिए योग, आहार एवं अन्य प्रभावी उपाय| Effective Ways to Overcome Depression | Yoga, Food And More

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दुनिया भर में डिप्रेशन एक गंभीर समस्या है और इससे उभरना उससे भी बड़ी चुनौती। यह एक ऐसी मनःस्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति के मन में जीवन की विविध क्रियाओं के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है। जब यह स्थिति कुछ हफ्तों से ज्यादा समय तक बनी रहती है तो इसको क्लिनिकल डिप्रेशन कहा जाता है, इसके कई स्टेज होते हैं, लेकिन जब यह क्लिनिकल स्टेज में पहुंच जाता है, तब ऐसी परिस्थिति में इसका उपचार करने की आवश्यकता होती है। यदि सही वक्त पर इसका उपचार ना किया जाए तो यह काफी गंभीर रूप भी ले सकता है। यहां तक कि इससे पीड़ित व्यक्ति खुद की जान लेने के बारे में भी सोचने लगते हैं।


नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे 2015-16 के अनुसार, भारत में औसतन प्रत्येक 20 में से एक यानी कि 5% व्यक्ति के किसी ना किसी लेवल तक डिप्रेशन की समस्या से ग्रस्त होने का अनुमान लगाया गया। वही यदि विश्व स्तर पर देखा जाए तो यह आंकड़ा लगभग 3.5 से 6% है। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि यह समस्या कितनी व्यापक है।


डिप्रेशन का कारण (Cause of Depression) -


कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी चीज के प्रति काफी अधिक लगाव या चाहत रखता है। फिर चाहे वह कोई व्यक्ति हो कोई काम हो या फिर कोई आदत। वह हमेशा उसी के सहारे जीना चाहता है। लेकिन कई बार जब वह चीज अचानक उसकी जिंदगी से बाहर हो जाती है, तो उसकी जिंदगी में एक अप्रत्याशित खाली स्थान या अनएक्सपेक्टेड गैप बन जाता है। जब वह व्यक्ति जीवन को व्यापक रूप में ना देख कर इसी गैप में फंस कर रह जाता है, तो उसमें जीवन की अन्य क्रियाओं के प्रति रुचि घटने लगती है और धीरे-धीरे वह सभी से दूर होता चला जाता है। वास्तव में यही डिप्रेशन यानी अवसाद कहलाता है।


इसके अतिरिक्त अचानक से लगने वाला सदमा, लंबे समय से कोई बीमारी, निद्रा रोग, नशीले पदार्थों का सेवन, अधिक वक्त तक तनाव और चिंता (Stress and Anxiety) आदि का बने रहना भी डिप्रेशन का कारण बन जाता है।


डिप्रेशन के लक्षण (Symptoms of Depression) -


डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं -


1. अपने दैनिक कार्यों के प्रति अरुचि


2. ज्यादातर उदास रहना अथवा अचानक ज्यादा गुस्सा या ज्यादा चिड़चिड़ापन होना


3. लोगों से मिलना जुलना अवॉइड करना


4. अनियमित भूख होना, जिसके परिणामस्वरूप वजन गिर जाना या अधिक बढ़ना


5. बहुत कम सोना या बहुत अधिक सोना


6. थका हुआ और ऊर्जाहीन महसूस करना


7. आत्मविश्वास घट जाना


8. बाहर निकलने या लोगों से बात करने में हिचकना


9. अनावश्यक रूप से स्वयं को दोषी ठहराना या खुद को हमेशा कमतर समझना (Low feeling)


10. एकाग्रता बनाए रखने और निर्णय लेने की क्षमता में उल्लेखनीय रूप से कमी आना


11. बेवजह जोखिम भरा काम करना


12. खुद को क्षति पहुंचाने की कोशिश करना


एक डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति में इनमें से कुछ या सभी लक्षण दिखाई दे सकते हैं। यह निर्भर करता है कि वह व्यक्ति कितने समय से और किस लेवल तक डिप्रेशन से ग्रस्त है।


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डिप्रेशन से निपटने के उपाय (Effective Ways to Overcome Depression) -


डिप्रेशन एक ऐसा मानसिक रोग है, जिसका उपचार संभव है। लेकिन इसका उपचार किस तरह होना चाहिए, यह उसके स्टेज पर निर्भर करता है। तात्पर्य यह है कि व्यक्ति कितने समय से इस समस्या से ग्रस्त है।


यदि कोई व्यक्ति अधिक समय से डिप्रेशन से ग्रस्त है तो वह क्लिनिकल स्टेज का डिप्रेशन होता है, जिसके लिए मेडिकेशन और चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता होती है। लेकिन यदि यह इनिशियल यानी शुरूआती स्टेज में है तो शुरू में ही सही प्रयास द्वारा इसका उपचार किया जा सकता है।


इस लेख में हम आपको डिप्रेशन से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण एवंं लाभकारी योग, जरूरी आहार और कुछ अन्य प्रभावकारी उपायों से अवगत कराएंगे। इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें, क्योंकि हमें विश्वास है कि इसे पढ़कर आपके भीतर एक नई ऊर्जा और नवीन चेतना का संचार होगा और आप सकारात्मकता से भर जाएंगे। इसलिए धैर्यपूर्वक आखिर तक अवश्य पढ़ें।


1. डिप्रेशन दूर करने के लिए योग आसन (Yoga For Depression) -


योग कई तरह के शारीरिक व्याधियों को दूर करने में सहायक होते हैं। इसका ना केवल हमारे शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी काफी अनुकूल प्रभाव पड़ता है। अतः ये हमारे मन-मस्तिष्क को शांत और स्ट्रेस फ्री रखने में भी उपयोगी सिद्ध होते हैं।


यहां आगे हम कुछ ऐसे ही योगासनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो तनाव और डिप्रेशन आदि दूर करने में कारगर साबित हो सकते हैं।


I. सेतुबंध आसन (Bridge Pose) -


1. समतल भूमि पर चटाई बिछाकर उसके ऊपर पैर फैलाकर पीठ के बल लेट जाएं।


2. अब अपने दोनों घुटनों को मोड़ें और दोनों पैर के तलवों को जमीन पर स्थापित करें।


3. दोनों पैर की एड़ियां जितना हो सके पीछे लाएं और दोनों पंजों के बीच लगभग 1 फीट की दूरी बना दें।


4. दोनों हाथों को भूमि पर टिका दें।


5. अब सांस अंदर लेते हुए शरीर के मध्य भाग (नितम्ब, टेल बोन, कमर) और पीठ को धीरे धीरे ऊपर उठाएं।


6. दोनों कंधों को जमीन से लगाए रखे उन्हें मोड़े नहीं। यदि चाहे तो कंधों के पास सपोर्ट के लिए कोई मोटा कपड़ा लगा सकते हैं।


7. सुनिश्चित करें कि चेस्ट आपकी ठुड्डी को स्पर्श कर ले और दोनों जांघ भूमि के समांतर हो।


8. यदि आप चाहें तो दोनों हथेलियों से कमर को सपोर्ट भी दे सकते हैं।


9. इस दौरान सिर को स्थिर रखें।


10. लगभग 30 सेकंड तक इसी पोजीशन में रहें और सांस छोड़ते हुए पहले की अवस्था में आ जाए।


इसी क्रिया को आप 4 से 5 बार रिपीट करें।


लाभ - यह योगासन दिमाग को शांत करने और डिप्रेशन से राहत दिलाने में मदद करता है। साथ ही थकान, मानसिक तनाव, पैर की थकावट, पीठ दर्द, सिरदर्द एवं अनिद्रा आदि में भी आराम पहुंचाता है। यह पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में भी मदद करता है। साथ में पेट के दूसरे अंगों और फेफड़ों को भी स्टिम्युलेट करता है।


ध्यान दें - यदि कमर या गर्दन से संबधित कोई दिक्कत है तो ये योग आसन मत करें।



II. उत्तानासन (Standing forward bend) -

1. इस योग आसन को करने के लिए समतल जमीन पर सीधे खड़े हो जाएं।


2. सांस बाहर छोड़ते हुए हिप बोन के पास से शरीर को मोड़ते हुए नीचे झुकाएं।


3. कमर के जोड़ से शरीर को ना मोड़ें, पीठ और स्पाइन को सीधा रखने का प्रयास करें।


4. सिर को ढीला छोड़ दें और गर्दन टाइट ना करें।


5. दोनों पैरों को सीधा रखें, मोड़ें नहीं।


6. नीचे झुकने के बाद यदि संभव हो तो हथेलियों को भूमि पर टिका दें, अन्यथा उन्हें दोनों पैरों के पिछले हिस्से पर रखकर स्थिर कर लें।


7. इसी पोजीशन में रहकर जब सांस अंदर लें तो धड़ को थोड़ा ऊपर उठाएं और फिर सांस छोड़ते हुए और भीतर की ओर धड़ को मोड़ने का प्रयास करें। ऐसा 4 से 5 बार करें।


8. आधे से एक मिनट तक यही क्रिया करें। फिर सांस अंदर लेते हुए और पीठ को सीधा रखते हुए अपने धड़ को हिप बोन के सहारे ही ऊपर उठाएं।


ध्यान रखें - इस योग को करने के लिए शरीर को लचीला बनाना जरूरी है। इसलिए इसे करने से पहले स्ट्रैचिंग जरूर करें।


यह योगासन हमारे मेंटल हेल्थ के लिए बहुत ही लाभदायक है यह डिप्रेशन और स्ट्रेस से आराम दिलाने में मदद करता है साथ ही साथ लिवर और किडनी की फंक्शन भी ठीक करता है जो घुटने जान फूल है  पिंडली और हैमस्ट्रिंग के लिए भी लाभदायक होता है इसके अतिरिक्त यह पाचन विकार दमा उच्च रक्तचाप साइनस सिर दर्द अनिद्रा और ऑस्टियोपोरोसिस आदि में भी लाभ पहुंचाता है।


III. बालासन (Child Pose) -


इस योग आसन को करने के लिए समतल भूमि पर चटाई बिछाकर घुटने के बल पर इस प्रकार बैठ जाइए दोनों टखने और एड़ियां आपस में टच हो जाएं।


अब धीरे धीरे दोनों घुटने  बाहर की ओर जितना अधिक हो सके फैलाईए भीतर की तरफ गहरी सांस लें और धीरे-धीरे आगे की ओर अपर बॉडी को इतना झुकाए कि पेट दोनों जांघों के बीच आ जाए कमर के पीछे वाले हिस्से में त्रिक-अस्थि को चौड़ा करते हुए कूल्हे को सिकोड़कर कर नाभि की तरफ खींचने का प्रयास करें। दोनों हाथों को घुटने की सीध में आगे की ओर फैलाएं दोनों कंधों को जमीन से टच करने का प्रयास करें जिससे पेट में खिंचाव जैसा महसूस हो इसी पोजीशन में करीब 30 मिनट तक रहे और फिर धीरे-धीरे पर्वत अवस्था में आ जाएं।


इस योग से भी डिप्रेशन में बहुत लाभ होता है। यह मन को शांति और सुकून प्रदान करने वाला है। नर्वस सिस्टम को रेगुलेट करने के साथ ही यह योग पीठ, कमर, घुटने और पेट आदि।  के लिए भी लाभकारी होता है।



IV. विपरीत करणी योगासन (Leg up the wall pose) -


1. इस योग को करने के लिए किसी समतल सतह पर चटाई या दरी बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।


2. अब अपनी अपर बॉडी (सिर और पीठ) को जमीन पर टिकाए रखते हुए दोनों पैरों को सीधा रखते हुए धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं और सामने की दीवार पर टिकाएं।


3. दोनों पैरों के बीच लगभग 1 फीट की दूरी बनाकर रखें।


4. यदि आप चाहें तो कमर के नीचे सपोर्ट के लिए किसी कंबल को फोल्ड करके लगा सकते हैं।


5. इस दौरान दोनों हाथों को जमीन पर आराम से फैला कर रखें।


6. इस दौरान अपनी आंखों को बंद रखें और ऐसी अवस्था में 5 मिनट रहकर शरीर को रिलैक्स होने दें।


जो योगासन शरीर को रिलैक्स करके अवसाद या डिप्रेशन को दूर करने में मदद करता है यह नींद से जुड़ी परेशानियों में भी लाभदायक है। यह मस्तिष्क को रिजूवनेट करने के साथ-साथ रक्त परिसंचरण तंत्र को भी स्टिम्युलेट करने में मदद करता है। यह योग पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने और उनके  विकारों को दूर करने में भी लाभकारी है। इससे गर्दन पीठ और  कंधों में होने वाले तनाव या की  खिंचाव में आराम मिलता है साथ हीं यह महिलाओं के उन दिनों की  तकलीफ कम करने में भी  फायदेमंद है।


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V. शवासन (Corpse Pose) -

1. इस योग को करने के लिए सबसे पहले समतल भूमि पर मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।


2. दोनों नेत्रों को बंद करके दोनों पैरों को अलग-अलग फैलाएं और एकदम रिलैक्स छोड़ दें।


3. दोनों हाथों को भी बाहर की ओर फैलाकर रिलैक्स छोड़ दें, हथेलियों को खुला रखें।


4. अब अपना ध्यान एकाग्रचित्त करके शरीर के प्रत्येक अंग की क्रियाविधि पर ध्यान दें।


5. इसकी शुरुआत पैर की तरफ से करें और मानसिक रूप से सभी अंगो का निरीक्षण करते हुए मस्तिष्क तक पहुंचें।


6. इस दौरान सांसो को धीमा रखें और सांसो को भीतर लेते समय ऑक्सीजन को ऊर्जा के रूप में पूरे शरीर में फैलता हुआ महसूस करें।


7. इस दौरान सोएं बिल्कुल नहीं, यदि आलस होने लगे या नींद आने लगे तो सांसो की गति थोड़ी बढ़ा दें।


इस आसन को सबसे आखिर में किया जाता है।


VI. कुछ उपयोगी प्राणायाम (Some Useful Pranayam) -


इन योगासन के अतिरिक्त कुछ प्राणायाम भी हैं, जिन्हें करने से डिप्रेशन काफी लाभ होता है।


इनमें अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भ्रामरी और भस्त्रिका आदि प्राणायाम शामिल है। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन 10 से 15 मिनट 'ॐ' शब्द का उच्चारण करने से भी अवसाद या डिप्रेशन में उल्लेखनीय रूप से फायदा होता है। साथ ही इससे शरीर में नवीन ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है, जो अवसाद से निपटने के लिए अत्यंत आवश्यक है।


2. डिप्रेशन में लाभकारी आहार (Healthy Food To Relieve Depression) -


हालांकि यह दावे के साथ तो नहीं कहा जा सकता कि किसी भोजन विशेष से डिप्रेशन ठीक हो जाएगा। लेकिन कुछ खास चीजों को यदि आप अपनी डाइट में शामिल करते हैं तो ये आपके मूड को सुधारने में मदद जरूर कर सकते हैं।


उनमें पालक कद्दू ब्रोकली एप्रिकॉट, गाजर, पीच, शकरकंद सभी सिट्रस फल जैसे संतरे ग्रेपफ्रूट नींबू आदि साथ ही विटामिन सी से भरपूर अन्य चीजें जैसे कीवी कैप्सिकम टमाटर शिमला मिर्च अमरूद एवं स्ट्रॉबेरी आदि। विटामिन ई से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे बादाम मूंगफली पिस्ता एवोकाडो हरे पत्ते वाली सब्जियां गेहूँ के अंकुर एवं वेजिटेबल ऑइल्स इत्यादि का सेवन भी आवश्यक है।


साथ ही प्रोटीन से भरपूर आहार जैसे बींस मटर इन दूध दही पनीर एवं अन्य लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स, सोया उत्पाद, लीन मीट और मछली इत्यादि का सेवन फायदेमंद है।


इनके अलावा ओमेगा 3 से भरपूर आहार जैसे फैटी फिश (सालमन, ट्यूना, मैकरल इत्यादि), तीसी, अखरोट, सोयाबीन तेल और गाढ़ी हरी पत्तेदार सब्जियां इत्यादि का सेवन लाभदायक है।


इन सभी के अतिरिक्त शरीर में विटामिन D का संतुलन भी आवश्यक है। इसके लिए विटामिन D से युक्त आहार जैसे मशरूम, फैटी फिश (सालमन, ट्यूना, मैकरल इत्यादि), अंडे की जर्दी और कॉड लिवर ऑयल इत्यादि को अपने भोजन में शामिल कर लें। साथ ही सुबह की धूप भी जरूर लें।


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3. खुद को व्यस्त रखने का प्रयास (Keep Yourself Busy With Something Productive) -


इस संदर्भ में एक लोकोक्ति भी प्रासंगिक है, जो है, "खाली दिमाग शैतान का घर होता है"। इसलिए अगर किसी वजह से आपकी लाइफ में कोई अनएक्सपेक्टेड गैप रह गया है, तो उस खाली जगह को भरने का भरसक प्रयास करें।


कहने का मतलब यह है कि बीती बातों के बारे में सोचने और अपने आप को बेतुकी ख्यालों में उलझाए रखने की बजाय कुछ तर्कसंगत काम करें, जो आपके जीवन को सही दिशा में ले जा सके।


हमेशा याद रखें कि किसी भी परिस्थिति में हमारे पास सही विकल्प की कमी नहीं होती है, बस उसे अलग-अलग दृष्टिकोण से देखने की जरूरत होती है।


4. दूसरों की मदद करें (Give A Selfless Help To Others) -


यदि आप सोच रहे हैं कि दूसरों की मदद करने से भला डिप्रेशन में क्या फर्क पड़ेगा, तो आपको बता दें कि यदि आप बिना किसी स्वार्थ या निजी हित को ध्यान में रखकर दूसरों की मदद या परोपकार करेंगे, तो इससे बड़ा संतोष या सैटिस्फेक्शन शायद हीं दुनिया में कोई और होगा।


यकीन मानिए यह आपके हारे हुए मन के अंदर के उत्साह को कई गुना बढ़ा देगा, जो डिप्रेशन को दूर करने में एक कारगर हथियार साबित हो सकता है।


5. प्रकृति का सान्निध्य (Be Contiguous To Nature And Feel It ) -


प्रकृति हमारी जननी है, इसलिए इनके सानिध्य में आकर प्रत्येक मनुष्य या जीव-जंतु चिंता मुक्त एवं निश्चिंत हो जाते हैं। इसके लिए आपको प्रकृति की सुंदरता को महसूस करना होगा और अपने भीतर इसके प्रति लगाव और सहानुभूति को जगाना होगा।


इसके लिए भी बड़ा सरल उपाय है। आप वृक्षारोपण करें और प्रकृति संरक्षण की दिशा में अपनी तरफ से कुछ ना कुछ प्रयास करें। ऐसे में यदि आप प्रकृति अर्थात नेचर से अपने मन का जुड़ाव कर लेते हैं तो इससे आप के अंतर-मन में अपार शांति की अनुभूति होती है, जो डिप्रेशन, तनाव या चिंता को दूर करने का एक साधन सिद्ध होती है।


6. ज्ञान के दृष्टिकोण से देखें (See It From A Logical Point Of View) -


यदि ज्ञान के दृष्टिकोण से देखें तो हमें जीवन में मिलने वाला सुख-दुःख, नफा-नुकसान, हार-जीत, सफलता-असफलता, पाना या खोना ये सभी हवा के झोंकों की तरह हैं, जो आते और जाते रहते हैं। कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता। ये सभी हमारे जीवन का एक हिस्सा हैं, ना कि पूरा जीवन।


इसलिए अपने अच्छे दिनों को याद करके हमेशा उसके ख्यालों में लिप्त रहना, या फिर अपने बुरे समय के लिए खुद को हमेशा कोसते रहना मूर्खों का काम है। केवल इन्हीं के पीछे भागने या इनको पकड़ कर बैठे रहने का नाम जिंदगी नहीं है। जीवन बहुत ही व्यापक है और इसका लक्ष्य विशाल। इसी को ध्यान में रखकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि एक कर्मवीर मनुष्य के लिए उम्मीद की नई सुबह हमेशा उसका इंतजार कर रही होती है।

रविवार, 21 जून 2020

दांत का पीलापन साफ करने के आसान घरेलू उपाय | Dant Kaise Saaf Kare

हमारे दांत हमारी पर्सनालिटी का एक अहम हिस्सा होते हैं। उसपर अगर ये सफेद और चमकीले हो तो इससे हमारा कॉन्फिडेंस लेवल और बढ़ जाता है। क्योंकि जब भी हम मुस्कुराते हैं तो हमारे सफेद दातों के कारण एक अलग ही इंप्रेशन बनता है। वैैैसे तो हमारेेे यहां साफ और स्वस्थ दांतो को केवल ब्यूटी और फैशन से हींं जोड़कर देखा जाता है, लेकिन वास्तव में इनका सीधा संबंध हमारे सेहत से भी जुड़ा होता है। इसलिए इनकी सफाई जितनी बाहरी सुंदरता के लिए जरूरी है, उतनी ही हमारी अंदरूनी सुंदरता अर्थात सेहत के लिए भी। लेकिन कई बार ध्यान ना देने और लापरवाही बरतने के कारण दांतों में पीलेपन की समस्या उभरकर सामने आती है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है। आइए पहले उन कारणों के बारे में जानें, उसके बाद हम आपको इस समस्या को दूर करने के कुछ आसान घरेलू उपाय भी बताएंगे।

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दांतों में पीलापन आने के कारण | Causes of Yellow Teeth


दांतों की साफ-सफाई और ओरल हाइजीन पर ध्यान ना देने के कारण बैक्टीरिया की उपस्थिति में हमारे दांतो की ऊपरी परत पर प्लाक की एक तह जमनी शुरू हो जाती है। यह तह धीरे-धीरे दृढ़ होती जाती है। यदि शुरू में ध्यान ना दिया जाए तो यह परत और भी मजबूूती से बैठ जाती है, जो आसानी से साफ भी नहीं हो पाती और दांतों के पीलेपन का कारण बनती है।

इसके अतिरिक्त दांतों के सुरक्षा कवच इनेमल की ऊपरी परत के घिस जाने से भी दांतों में पीलापन दिखाई देने लगता है। वास्तव में इनेमल की ऊपरी सफेद परत उम्र के साथ-साथ धीरे-धीरे घिसती जाती है, परंतु जब किन्हीं अन्य कारणों से यह परत वक्त से पहले घिसकर धूमिल हो जाती है तो उसके नीचे की पीले रंग की परत, जिसको 'Dentin' कहते हैं, दिखने लग जाती है। यह भी दांतों में पीलापन दिखाई देने का एक कारण होता है।

और भी कुछ अन्य कारण हैं, जिनकी वजह से दांतो में पीलापन या दाग दिखाई देने लगता है। उनमें ड्रिंकिंग, स्मोकिंग और तम्बाकू, गुटका आदि का सेवन, मुँह में Saliva या लार कम बनना, ड्राई-माउथ, चाय और कॉफी का अधिक सेवन, ढलती हुई उम्र इत्यादि शामिल हैं। कई बार जेनेटिक गुणों के कारण भी ऐसा हो सकता है।

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अब आइए जानते हैं कि दांतो का पीलापन दूर करने के लिए हम कौन से प्राकृतिक व घरेलू उपाय उपयोग में ला सकते हैं।


दांत का पीलापन दूर करने के घरेलू उपाय | Useful Home Remedies to Get Rid of Yellow Teeth


इसके लिए पहला सुझाव तो यह है कि पहले से ही दांतो की साफ-सफाई और ओरल हाइजीन पर ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि दातों को शुरू से हीं पीलेपन से बचाया जा सके। और दूसरे में यदि किन्हीं कारणों से पहले से ही दांतों में पीलापन आ चुका है तो उसे साफ करने के लिए आप कुछ प्राकृतिक एवं घरेलू उपायों को भी आजमा कर देख सकते हैं। इन उपायों से दांत का पीलापन साफ करने में काफी मदद मिलती है।

तुलसी की पत्तियों का चूर्ण -

तुलसी की पत्तियों में कई प्रकार के औषधीय गुण समाए हुए हैं। आयुर्वेद में इसे एक प्रमुख औषधि माना जाता है। इसकी पत्तियों को अनेक प्रकार के रोगों के उपचार में भी उपयोग में लाया जाता है। इनमें एंटीबैक्टीरियल गुण भी उपस्थित होता है। इसके इन्हीं औषधीय गुणों के कारण यह हमारे दांत और मसूड़ों के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता हैं। साथ ही इसके उपयोग से दांतो का पीलापन कम करने में भी मदद मिलती है।

इसके लिए तुलसी की कुछ हरी पत्तियों को इकट्ठा करके उन्हें धूप में सुखा लें। जब वे अच्छी तरह सूख जाएं तो उन्हें कूटकर महीन चूर्ण बना लें। इसी चूर्ण में से थोड़ा-थोड़ा अपने रोज के टूथपेस्ट के साथ मिला कर प्रतिदिन दांतो को साफ करें। यह न केवल दांतों का पीलापन हटाकर चमक लाने, बल्कि मसूड़ों को स्वस्थ रखने में भी मदद करेगा।

संतरा के छिलके का उपयोग -

संतरा या नारंगी के छिलके के इन गुणों के बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे। इसके छिलके दांतो का पीलापन और काले दाग को साफ करने में उपयोगी होते हैं। ऑरेंज पील में विटामिन सी के साथ-साथ कैल्शियम भी उपस्थित होता है, जो हमारे दांतो को स्वस्थ बनाए रखने हेतु आवश्यक होता है।

इसके लिए कुछ संतरे के छिलके और थोड़ी तुलसी की पत्तियों को इकट्ठा कर लें। इन दोनों को धूप में अच्छी तरह सुखा लें। फिर इनको एक साथ पीसकर बारीक पाउडर जैसा बना लीजिए। इसी पाउडर में से थोड़ा सा लेकर हर रोज दातुन करने के दौरान हल्की उंगलियों से अपने दातों में मलें। हर रोज इसके उपयोग से दांतो का पीलापन साफ होता है और जमे हुए काले दाग भी धीरे-धीरे हट जाते है।

नमक और सरसों का तेल -

दांतो का पीलापन साफ करने के लिए अगला घरेलू उपाय है, सरसों का तेल और नमक का प्रयोग। जी हाँ, दांतो को साफ करने का यह पुराना परंतु कारगर तरीका है। आपने देखा होगा कि आजकल के टूथपेस्ट विज्ञापनों में भी नमक के प्रयोग पर जोर देकर प्रचारित किया जाता है। क्योंकि दांतो के लिए नमक का प्रयोग फायदेमंद होता है। यहां तक कि हमने भी कई बार दांतो को साफ करने के लिए नमक और सरसों तेल का उपयोग किया है।

इसके लिए हथेली में थोड़ा सा नमक लेकर उसमें सरसों तेल की कुछ बूंदों को डालकर मिला लें और इससे दांतों को हल्की हल्की उंगलियां से मलें। इनका प्रयोग करते रहने से धीरे-धीरे प्लाक की परत हट जाती है और दांत का पीलापन दूर होने लगता है।

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बेकिंग सोडा का इस्तेमाल -

बेकिंग सोडा, सोडियम का एक यौगिक है, जिसका रासायनिक नाम सोडियम बाइकार्बोनेट है। खाने का सोडा या बेकिंग सोडा का उपयोग आमतौर पर विभिन्न व्यंजनों एवं मिष्ठान्न आदि तैयार करने में किया जाता है। परंतु बेकिंग सोडा का उपयोग प्रायः दांतो का पीलापन साफ करके उनमें चमक लाने के लिए भी किया जाता है।

इसकी एकदम थोड़ी सी मात्रा को रोजाना के टूथपेस्ट में मिलाकर दांत को साफ करने से कुछ हफ्तों में प्लाक एवं दाग या स्टेन्स की परत साफ हो जाती है और दांतों में फिर से चमक आ जाती है।


केले का छिलका -

एक ओर केला का फल जहां हमारी सेहत के लिए एक पौष्टिक आहार होता है, वहीं इसके छिलके को दांतों का पीलापन और दाग साफ करने में उपयोगी माना जाता है। क्योंकि इसमें पोटैशियम, मैग्निशियम और मैगनीज़ जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं, जो दांत से दाग साफ करने में सहायता कर सकते हैं।

इस हेतु पके हुए केले को अच्छी तरह धोकर उसका छिलका उतारकर एक छोटा टुकड़ा काट लें और उसके अंदरूनी हिस्से को दांतों पर एक से दो मिनट रगड़ें। इससे दांतों से प्लाक की जमी हुई परत और दूसरे दाग धब्बे धीरे-धीरे साफ हो जाते हैं।

निष्कर्ष -

इन घरेलू उपायों से हमें दांत का पीलापन और दाग आदि साफ करने में मदद तो मिलती है, लेकिन निश्चित तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि कितने समय में या कितने प्रभावकारी ढंग से ये हमारे दांतों को साफ कर पाएंगे। हालांकि इतना तो जरूर कहा जा सकता है कि दूसरे केमिकल से युक्त टूथ व्हाइटनर के मुकाबले इनका प्रयोग करना ज्यादा सुरक्षित है, क्योंकि केमिकल वाले टूथ व्हाइटनर के कई साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं।

ध्यान दें - ब्रश करते समय अपने दांतो को जोर-जोर से कभी ना घिसें। इससे दांतो को सुरक्षित रखने वाला कवच यानी कि इनेमल कमजोर होने लगती है। इससे ना केवल दांतों में पीलेपन, बल्कि कैविटी या सड़न की समस्या भी हो सकती है।

साथ ही अपने रोजाना के टूथपेस्ट का चुनाव भी देख-परखकर या डेंटिस्ट की सलाह लेकर करें।

इस लेख में बताए गए उपाय सामान्य जानकारी पर आधारित हैं, इसलिए हम इनके आंशिक या पूर्णतया प्रभावकारी होने का दावा नहीं करते हैं। अतः इनका प्रयोग विशेषज्ञ की राय से आश्वस्त होकर हीं करें।

शुक्रवार, 12 जून 2020

इम्यूनिटी बढ़ाने के नेचुरल उपाय और प्रभावी योग आसन - Lifekamantrahindi

एक स्वस्थ शरीर हमारी सबसे बड़ी धरोहर है। शरीर के लिए उपनिषद में भी कहा गया है। "शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्" अर्थात हमारा शरीर ही हमारे सभी धर्मों अर्थात कर्तव्यों को पूरा करने का एकमात्र साधन है। अतः इसे स्वस्थ एवं निरोग बनाए रखना भी हमारा हीं कर्तव्य है। किंतु प्रश्न यह उठता है कि हम में से हर कोई वैद्य अथवा चिकित्सक तो नहीं हो सकता, जो हर रोग का उपचार स्वयं ही कर लें। तो इसका उत्तर है कि भले ही हम चिकित्सक ना सही, परंतु हम अपनी सेहत को लेकर पहले से सतर्क होकर एहतियात बरतने का काम तो कर ही सकते हैं, जिससे कि हम जल्दी बीमार ही ना पड़ें। इसके लिए अंग्रेजी में भी एक मशहूर कहावत है कि "Prevention is Better Than Cure" अर्थात "उपचार से एहतियात भली"। इसका तात्पर्य यह है कि किसी भी रोग से ग्रस्त होकर उसका उपचार करने से उत्तम है कि हम पहले से ही उसके प्रति सतर्क होकर Precautions यानी एहतियात बरतने का काम करें।

हमारा शरीर स्वयं ही एक बहुत जटिल तंत्र है, जिसमें अलग-अलग तंत्र एक केंद्रीय तंत्र यानी मस्तिष्क के द्वारा संचालित होते हैं। अतः इसके स्वस्थ बने रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि हमारे शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली यानी Immune system मजबूत बना रहे हैं। आपने इन दिनों ये दो शब्दों Immune system और Immunity के बारे में खूब सुना होगा। परंतु क्या आप वास्तव में इसके बारे में जानते हैं कि आखिर यह है क्या है? यदि नहीं तो इस लेख में आपको इस प्रश्न का समुचित उत्तर मिल जाएगा कि वास्तव में इम्यूनिटी क्या होती है और अपने शरीर के इम्यून सिस्टम को सुधारने और मजबूत बनाने के लिए हमें क्या करना चाहिए।

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इम्यूनिटी बढ़ाने के नेचुरल उपाय


Immune system क्या है?


Immune system हमारे शरीर की एक सुरक्षा प्रणाली है, जो हमारे शरीर को विविध रोग व्याधियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। यह अलग अलग प्रकार की कोशिकाओं, अंगों, प्रोटीन्स एवं रसायनों आदि का ऐसा जटिल समूह है, जो हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार के संक्रमण अर्थात इंफेक्शन से बचाने में मदद करता है। वैसे तो इम्यून सिस्टम की व्याख्या भी थोड़ी जटिल है, लेकिन हम आपको इसे बहुत ही सरल शब्दों में समझाने का प्रयास करेंगे।

इम्यून सिस्टम के अंतर्गत आने वाले प्रमुख भाग हैं - Main Components of Our Immune System

  • लसीका तंत्र (Lymphatic System)
  • श्वेत रक्त कोशिकाएं यानी White Blood Cells -
  • प्लीहा (Spleen)
  • थाइमस (Thymus)
  • रोग-प्रतिकारक (Antibodies)
  • पूरक तंत्र (Complement System)
  • अस्थिमज्जा (Bone Marrow)

ये वो भाग हैं, जो शरीर को किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। इन्हीं भागों में अनियमितता का होना Weak Immunity अर्थात कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता का कारण होता है। वास्तव में हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम उन सभी सूक्ष्मजीवों अथवा कीटाणुओं को एक प्रकार से चिन्हित कर लेता है, जो कभी ना कभी हमारे शरीर को क्षति पहुंचा चुके हैं या पहुंचाने का प्रयास कर चुके हैं। इन्हें पहचानने का काम श्वेत रक्त कोशिकाएं (White Blood Cells) करती हैं, जिन्हें मेमोरी सेल्स भी कहा जाता है। फिर जब भी ये सूक्ष्मजीव हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तो हमारा सिस्टम उनको तत्काल नष्ट कर देता है, अथवा निष्क्रिय कर देता है।

परंतु जब हमारा Immune system कमजोर रहता है या उसमें अनियमितता आ जाती है, तो ऐसे में हानि पहुंचाने वाले माइक्रो-ऑर्गेनिज्म के शरीर में प्रवेश करने पर हमारा तंत्र ना ही उनका जल्दी पता लगा पाता है और ना ही उन्हें तत्काल नष्ट करने में सक्षम रह जाता हैं। इसी कारण हमें विभिन्न प्रकार के इंफेक्शन, एलर्जी या ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अब आइए जानते हैं कि हमारे Immune System के कमजोर होने पर कौन-कौन से लक्षण दिखाई दे सकते हैं?

कमजोर इम्यूनिटी के लक्षण - Signs of Weak Immunity


कमजोर इम्यूनिटी के कुछ सामान्य लक्षणों में,

  • बार-बार वायरल इन्फेक्शन सर्दी-जुकाम आदि होना
  • पाचन संबंधी गड़बड़ी बने रहना
  • घावों का जल्दी ना भरना
  • जोड़ों का दर्द रहना
  • हाथ पैर में झनझनाहट या सुन्न होना
  • अक्सर थकान महसूस होना
  • जल्दी भूख न लगना
  • निगलने में परेशानी होना
  • अंदरुनी अंगों में जलन महसूस होना
  • धूप के प्रति सेंसिटिव होना
  • श्वास संबंधी परेशानियां जैसे दमा
  • ब्रोंकाइटिस आदि, स्किन इंफेक्शन
  • शारीरिक विकास धीमा होना
  • रक्त संबंधी अनियमितता जैसे एनीमिया
  • ऑटोइम्यून डिसऑर्डर इत्यादि शामिल हैं।

एक कमजोर Immune system वाले व्यक्ति में इनमें से एक से अधिक लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। हालांकि इसका इतनी सटीकता से दावा तो नहीं किया जा सकता, परंतु इन्हें संभावित लक्षणों के रूप में अवश्य देखा जा सकता है।

इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए क्या करें? - How To Boost Immunity

शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए तीन मुख्य बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है। वे तीन मुख्य बिंदु हैं, आवश्यक पौष्टिक आहार, योग-प्राणायाम एवं अन्य शारीरिक गतिविधियां तथा एक संतुलित और अनुशासित जीवनशैली। एक स्वस्थ शरीर का इम्यून सिस्टम मुख्य रूप से इन्हीं स्तंभों पर आधारित रहता है और हमें इन्हीं को सुदृढ़ करने की आवश्यकता होती है। इन्हें सुदृढ़ करने के पश्चात हमारे शरीर की इम्युनिटी स्वतः ही बढ़ जाती है। अब आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

A. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आहार एवं घरेलू नुस्खे - Foods and Home Remedies for Strong Immunity


अच्छी सेहत और मजबूत इम्यूनिटी बरकरार रखने में हमारे खान-पान का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहता है। वास्तव में ज्यादातर बीमारियां दवाइयों से नहीं, बल्कि हमारे अच्छे खान-पान से ही दूर रहती हैं। यदि हम उचित और पौष्टिक आहार लेते रहें तो इससे हमारे बीमार पड़ने की संभावना भी बहुत ही कम हो जाती है। दूसरे शब्दों में यह हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। यहां आगे हम आपको कुछ ऐसे आहार बताएंगे, जिन्हें अपने भोजन में शामिल करने से आप अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बना पाएंगे और सर्दी-जुकाम, फ्लू और संक्रमण आदि से भी बचे रहेंगे।

1. Vitamin C से भरपूर फल एवं सब्जियां -


हमारे इम्यून सिस्टम के लिए Vitamin C अत्यंत महत्वपूर्ण है शरीर में इसकी पूर्ति के लिए हमारे पास आहारों के ढेर सारे विकल्प मौजूद हैं। तो आइए जानते हैं कि किन किन चीजों के सेवन से हमें पर्याप्त Vitamin C प्राप्त होता है।

I. सिट्रस फल - Citrus Fruits 

सिट्रस फल वे होते हैं, जिनमें पर्याप्त सिट्रिक एसिड मौजूद होता है। ये फल Vitamin C से भी भरपूर होते हैं, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायता करते हैं। इसके अतिरिक्त विटामिन सी को रक्त में श्वेत रक्त कोशिकाओं (white blood cells) को बढ़ाने वाला कारक भी माना जाता है, जो संक्रमण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Vitamin C की आवश्यकता हमारे शरीर को हर रोज पड़ती है, लेकिन जानने वाली बात यह है कि विटामिन सी का हमारे शरीर में ना तो उत्पादन होता है और ना ही इसका भंडारण। इसलिए प्रतिदिन शरीर को इसकी आपूर्ति करनी पड़ती है।

एक वयस्क व्यक्ति के लिए प्रतिदिन कम से कम 90 मिलीग्राम एवं एक महिला के लिए 75 मिलीग्राम विटामिन सी की आवश्यकता होती है। कुछ महत्वपूर्ण सिट्रस फल जो प्रचुर मात्रा में विटामिन सी से युक्त होते हैं। उनमें संतरे, कीनू, नींबू, ग्रेपफ्रुट (नारंगी जैसा) और लाइम इत्यादि शामिल हैं। इन्हें आप अपने भोजन में शामिल करके अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।

II. कैप्सिकम - Capsicum 

कैप्सिकम, जिसको हमारे यहां शिमला मिर्च के नाम से भी जाना जाता है, इसमें प्रचुर मात्रा में Vitamin C पाया जाता है। साथ ही साथ इसमें ढेर सारे एंटीऑक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं। कैप्सिकम हमारे यहां आसानी से उपलब्ध हो जाता है। अतः इसे अपने भोजन में शामिल करना एक शानदार विकल्प है।

वैसे तो हरे कैप्सिकम भी विटामिन सी से भरपूर होते हैं, लेकिन लाल कैप्सिकम में हरे कैप्सिकम की तुलना में लगभग दोगुनी मात्रा में विटामिन सी उपस्थित होता है। इसलिए उसका सेवन करना हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए एक उत्तम है।

III. कीवी - Kiwi 

कीवी फल में भी पर्याप्त विटामिन सी मौजूद होता है। इसके अतिरिक्त यह पोटैशियम फोलेट एवं Vitamin k का भी अच्छा स्रोत होता है। विटामिन K हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने और घाव को जल्दी भरने के लिए जरूरी है। एक ओर जहां Vitamin C हमारी श्वेत रक्त कोशिकाओं को मजबूत बनाने का काम करता है। वहीं दूसरी ओर कीवी में मौजूद अन्य पोषक तत्व हमारे शरीर की दूसरी क्रिया विधियों को सुचारू रूप से संचालन में मदद करते हैं।


IV. पपीता - Papaya

पपीता भी एक बहुपयोगी फल है। इसमें ना केवल Vitamin C उपस्थित होता है, बल्कि उसमें उसकी प्रचुरता भी बहुत होती है। यह कई मायने में हमारी सेहत के लिए लाभकारी होता है। इसमें मैग्नीशियम, पोटेशियम एवं फोलेट आदि भी उपस्थित होते हैं, जो बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं। इसके अतिरिक्त इनमें पेपेन नामक पाचक एंजाइम भी मौजूद होता है, जो पेट संबंधी समस्याओं को दूर करके इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है।

V. ब्रोकली - Broccoli

ब्रोकली सबसे पौष्टिक सब्जियों में से एक है। यह न केवल विटामिन सी से भरपूर होता है, बल्कि इसमें विटामिन A एवं B विटामिंस, विटामिन K, फाइबर एवं बहुत सारे खनिज तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। इसके सेवन से हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूती मिलती हैं। इसके संपूर्ण पोषक तत्वों को बरकरार रखने के लिए इसे अन्य सब्जियों की तरह नहीं, बल्कि स्टीम करके पकाना उचित रहता है।

उपर्युक्त आहारों के अतिरिक्त Vitamin C से भरपूर कुछ अन्य आहार जैसे अमरूद, आंवला, आम, अंगूर (खासकर काला), अनारस, टमाटर, स्ट्रॉबेरी, अन्य बेरी फल, साबुत धनिया, गोभी, हरी मिर्ची, पालक, सरसों का साग एवं दूसरी सभी हरी सब्जियां इत्यादि उत्तम विकल्प हैं। इन्हें भी हमें भोजन में शामिल करना चाहिए।

इनके अलावा प्रतिदिन आंवले से निर्मित च्यवनप्राश का सेवन करना भी अत्यंत लाभकारी रहता है। इसमें भरपूर विटामिन सी और अन्य जड़ी बूटियों की शक्ति भी समाहित रहती हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाने में काफी उपयोगी साबित होती है। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए प्रतिदिन एक चम्मच चवनप्राश का सेवन करने की सलाह भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा भी दी गई है।


इसे भी पढ़ें - किस विटामिन की कमी से कौन सा रोग होता है और उसकी पूर्ति के लिए हमे क्या आहार लेना चाहिए?


2. इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए हल्दी वाले दूध का सेवन - Golden Milk for Better Immunity


वैसे तो हल्दी का प्रयोग हमलोग अपने दैनिक जीवन में भोजन में इस्तेमाल होने वाले एक मसाले के रूप में अथवा कई बार एक सौंदर्य प्रसाधन के रूप में भी करते हैं, लेकिन आपको बता दें कि हल्दी अनेक स्वास्थ्यवर्धक औषधीय गुणों से भी युक्त होता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी एवं एनाल्जेसिक अर्थात पीड़ाहारी गुण पाए जाते हैं। ऐसे में इसका प्रयोग दूध के साथ करने पर यह और भी अधिक लाभकारी हो जाता है।

करक्यूमिन से भरपूर हल्दी को दूध के साथ उबालकर पीने से यह एक इम्यूनिटी बूस्टर की तरह कार्य करता है। दूध के साथ उबालने पर जो इसका सुनहरा रंग निकल कर आता है, इसी कारण इसे गोल्डन मिल्क भी कहा जाता है, जिसके गुण भी स्वर्ण के समान ही उत्तम माने जाते हैं।

हल्दी वाला दूध तैयार एवं सेवन करने की विधि -

हल्दी वाले दूध अर्थात Golden Milk तैयार करने के लिए आप डेढ़ ग्लास दूध लीजिए। यदि दूध देसी गाय का हो तो सर्वोत्तम होगा। फिर उसे उबलने के लिए रख दें। जब यह उबलने लगे, तब इसमें आधा चम्मच हल्दी पाउडर डालकर कुछ देर और उबलने के लिए छोड़ दें। थोड़ा दूध जलने के बाद जब एक ग्लास दूध बच जाए, तब इसे आंच से उतार लें और हल्का गुनगुना रहने पर इसका सेवन करें। प्रतिदिन इसके सेवन से बहुमूल्य फायदे प्राप्त होंगे।


3. ग्रीन टी का सेवन - Green Tea to Strengthen Immune System) 


हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में एंटीऑक्सीडेंट्स का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ऐसे में ग्रीन टी का सेवन हमारी इस आवश्यकता को पूरा कर सकता है। ग्रीन टी में फ्लेवोनॉयड एवं अन्य बहुत से एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को सुदृढ़ बनाने का काम करते हैं। इसमें एल-थीयानाइन नामक एमीनो एसिड भी मौजूद होते हैं, जो T-Cells को मजबूत बनाने में योगदान देते हैं। यदि आप भी प्रतिदिन ग्रीन टी का सेवन करते हैं तो यह आपके बीमार पड़ने की संभावना को कम कर देता है।

ग्रीन टी के अतिरिक्त ब्लैक टी भी काफी लाभकारी होता है। इसलिए आप इनका भी सेवन कर सकते हैं।

4. भुना हुआ लहसुन और शहद - Roasted Garlic with Honey to Fight Illness


शहद के साथ भुने हुए लहसुन का सेवन किसी औषधि से कम नहीं है। इनका उपयोग परंपरागत रूप से ही अनेक रोगों के उपचार में किया जाता रहा है। लहसुन में एलीसिन सल्फर कंपाउंड मोजूद होते हैं। यह एंटीबैक्टीरियल एवं रोगाणु नाशक गुण प्रदर्शित करते हैं। वहीं दूसरी ओर शहद पर्याप्त ऊर्जा के साथ साथ फ्लेवोनॉयड और पॉलिफिनॉल्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। यह हमारे इम्यून सिस्टम को सुदृढ़ बनाने में सहायता करते हैं। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल एवं एंटी-फंगल गुण भी उपस्थित होते हैं। ऐसे गुणों की उपस्थिति के कारण इन दोनों का कॉम्बीनेशन एक उत्तम औषधि साबित होता है।

लाभ - भुने हुए लहसुन और शहद का सेवन शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाकर न केवल सर्दी-जुकाम, खांसी, गले के इन्फेक्शन, साइनस, फ्लू और संक्रमण आदि से बचाता है, बल्कि LDL कोलेस्ट्रॉल, जिसे बैड कोलेस्ट्रॉल भी कहते हैं, के स्तर को कम करके ह्रदय रोग से भी बचाता है। यह पेट और दिमाग से जुड़ी समस्याओं में भी लाभकारी होता है। केवल इतना ही नहीं, ये शरीर से विषाक्त पदार्थ अर्थात टॉक्सिंस को साफ करके कैंसर जैसे रोग से भी लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

विधि - इनका सेवन करने के लिए सबसे पहले लहसुन की कलियों को छीलकर उन्हें तवे पर हल्का रोस्ट कर लें, यानी कि भुन लें। फिर इन्हें कांच की शीशी में 100 से 150 मिली शहद में डुबोकर रख दें। प्रतिदिन इनमें से शहद सहित एक से दो कलियां चम्मच से निकालकर खाएं। यदि खाली पेट इसका सेवन करेंगे तो और भी लाभकारी होगा।

ध्यान दें - लहसुन में मौजूद सल्फर कंपाउंड से कुछ लोगों को एलर्जी भी होती है। ऐसे में इसका सेवन करने से पहले यह जरूर सुनिश्चित कर लें कि आपको उससे एलर्जी तो नहीं है। साथ हीं मधुमेह के रोगी शहद का सेवन चिकित्सक से सलाह लेकर हीं करें।

5. घरेलू सामग्रियों से तैयार करें औषधीय काढ़ा - Homemade Kada for Strong Immunity


यदि आप चाहें तो शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए किचन में मौजूद सामग्रियों से ही एक औषधीय काढ़ा तैयार करके उसका सेवन कर सकते हैं। आगे हम आपको इसमें प्रयोग होने वाली सामग्री और तैयार करने की विधि के बारे में बताएंगे।

औषधीय काढ़ा तैयार करने की सामग्री एवं विधि -

इस औषधीय काढ़े को तैयार करने के लिए सॉस पैन में तीन कप पानी लें। इसमें आधा चम्मच अजवाइन, आधा चम्मच जीरा, पाँच दाने काली मिर्च के, आधा चम्मच दालचीनी पाउडर या फिर साबुत, 7 से 8 तुलसी पत्र, थोड़ा अदरक कद्दूकस किया हुआ (यदि बीपी की समस्या है तो अदरक ना डालें) और एक छोटी गुड़ की डली डाल दें। अब इस पूरी सामग्री को उबालने के लिए रख दीजिए। इसे खूब उबलने दें और जब पानी आधा बच जाए तब इसे आंच से उतारकर छान लें और हल्का गुनगुना रह जाने पर इसका सेवन करें। यदि आप सुबह के समय इसका सेवन करते हैं तो अति उत्तम होगा।

लाभ - इस औषधि काढ़े का सेवन सर्दी-जुकाम, खांसी एवं वायरल इंफेक्शन में लाभकारी होता है। ये गले की खराश और पुराने कफ को ठीक करने में भी असरदार है। साथ ही यह शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता अर्थात इम्यूनिटी बढ़ाने में भी कारगर होता है।

B. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए योग एवं प्राणायाम - Yoga Asanas and Pranayam to Boost Immunity Power


योग एवं व्यायाम का हमारी सेहत से बहुत ही गहरा नाता है। यह हमारे शरीर के विभिन्न रोग व्याधियों को दूर करने का एक महत्वपूर्ण साधन भी है। यह न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि करने में भी उपयोगी है। ऐसे में प्रतिदिन योग एवं व्यायाम से हम अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बना सकते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। यहां आगे हम आपको कुछ ऐसे योगासनों और प्राणायाम के बारे में बताएंगे, जो हमारी इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक सिद्ध होते हैं।

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I. अर्ध-मत्स्येंद्रासन - Ardha matsyendrasana 


अर्ध-मत्स्येंद्रासन को करने के लिए इन सभी चरणों का अनुसरण कीजिए।

  • समतल भूमि पर चटाई डालकर दंडासन में बैठ जाइए। 
  • अब अपने बाएं पैर को मोड़कर दाहिने घुटने के ऊपर से लाकर दूसरी तरफ बाएं पैर के पंजे को जमीन पर बराबर रख दीजिए। 
  • इसके बाद अपने मुड़े हुए दाहिने पैर को थोड़ा आगे बढ़ाकर बाएं नितंब के पास भूमि पर आराम से रख दीजिए। 
  • फिर बाएं पैर के ऊपर से दाएं हाथ को लाइए और बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ लीजिए।
  •  इसके बाद सांस छोड़ते हुए अपने धड़ को जितना अधिक हो सके उतना अधिक मोड़े 
  • गर्दन को भी इस प्रकार मोड़े की आपकी दृष्टि बाएं कंधे पर केंद्रित रहे। 
  • अपने बाएं हाथ को जमीन पर टिकाए रखें और सामान्य रूप से सांस लें।
  • लगभग आधे से 1 मिनट तक इसी मुद्रा में रहे और फिर यही प्रक्रिया दूसरी तरफ भी करें।


वैसे तो यह योग मुख्य रूप से पेट एवं रीढ़ की हड्डी व स्पाइन से जुड़ी समस्याओं के लिए है, जोकि हमारे अंदरूनी अंगों की क्रिया-विधि को सुचारू करने में भी उपयोगी साबित होता है। साथ ही यह हमारे इम्यून सिस्टम की इकाइयों को भी मजबूत करता है।

इसे भी पढ़ें - जानें भुजंगासन योग करने की विधि और उसके लाभ

II. त्रिकोण आसन - Triangle Pose 


शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए त्रिकोणासन भी उत्तम आसन है। यह रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाने में सहायक होता है। प्रतिदिन इसके अभ्यास से शरीर में ब्लड सरकुलेशन बढ़ता है और मेटाबॉलिज्म में भी सुधार आता है। इससे रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। आगे जानिए त्रिकोणासन करने की विधि क्या है।

त्रिकोणासन करने की विधि 


  • सीधे खड़े होकर अपने दोनों पैरों के बीच 3 से 4 फीट की दूरी बना लें। 
  • फिर अपने दाएं पैर को थोड़ा घुमा कर उसकी एड़ी के मध्य बिंदु एवं बाएं पैर के पंजे के आर्क के मध्य बिंदु को एक सीध में कर लें।
  • भीतर की ओर गहरी सांस लीजिए और हल्के-हल्के छोड़िए। 
  • सांसो को छोड़ते हुए शरीर को दाईं ओर झुकाएं और अपने दाएं हाथ से जमीन को स्पर्श करते हुए बाएं हाथ को ऊपर की ओर उठाएं और उसके अग्रभाग को देखें।
  • चित्र में दिखाएं अनुसार दोनों हाथों को इस प्रकार सीधा रखें, ताकि एक सीधी रेखा बने। 
  • शरीर को एकदम ढीला रखें और कुछ सेकंड तक इसी अवस्था में रहें।
  • फिर यही प्रक्रिया दूसरी तरफ भी करें और उसके बाद हाथों को नीचे करके रिलैक्स होकर खड़े हो जाएं।

III. पश्चिमोत्तानासन - Paschimottasana


यह योगासन शरीर में ब्लड फ्लो बढ़ाने में सहायक है। यह मस्तिष्क तक पर्याप्त ब्लड सरकुलेशन कराने में मदद करता है। साथ ही यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बेहतर बनाने में सहायक होता है। इस योग आसन को करने के लिए निम्नलिखित चरणों का अनुसरण कीजिए।


  • समतल भूमि पर चटाई बिछाकर बैठ जाएं।
  • इसके बाद अपने दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाएं और अपनी कमर सीधी रखें।
  • भीतर की ओर गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथ साथ में ऊपर की ओर उठा लें। 
  • सांस छोड़ते हुए शरीर को आगे की ओर झुकाएं और दोनों हाथों से पैर के पंजों को पकड़ने का प्रयास करें।
  • जब पंजे हाथों से पकड़ में आने लगे, तब अपने माथे को घुटने तक लाने का प्रयास करें।
  • इसी अवस्था में 1 से 2 मिनट तक रुके रहें और अपने सांस को सामान्य बनाए रखें।
  • इस दौरान शरीर में जहां भी खिंचाव हो रहा है, अपना ध्यान उन्हीं पर केंद्रित करें। 
  • इसके बाद पुनः पूर्ववत अवस्था में आ जाएं। 
कदाचित् यह आसन एक बार में करना कठिन लगे, लेकिन इसके अभ्यास से यह करना आपके लिए सहज हो जाएगा।

IV. सर्वांगासन - Sarwangasana


इस आसन को करने के लिए इन चरणों का अनुसरण कीजिए।

  • समतल भूमि पर चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
  • फिर अपने दोनों हाथों की मदद से दोनों पैर एवं कमर को उर्ध्व अर्थात ऊपर की ओर उठाइए।
  • ऐसी अवस्था में आपके शरीर का संपूर्ण भार दोनों शोल्डर और सर पर आएगा।
  • इस अवस्था में अपने सर और गर्दन को एक ही सीध में बनाए रखें। 
  • इस दौरान पैरों को मोड़ने का प्रयास ना करें।
  • 2 से 3 मिनट तक इस आसन का अभ्यास करके पूर्ववत अवस्था में आ जाएं।

V. धनुरासन - Dhanurasana


इस योगासन को करने के लिए निम्न चरणों का अनुसरण कीजिए।

  • समतल भूमि पर चटाई बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
  • इसके बाद दोनों हाथों से पैर के टखनों को पकड़ लें। 
  • ध्यान रखें दाएं हाथ से दाहिने और बाएं हाथ से बाएं टखने को पकड़ना है।
  • फिर अंदर की ओर गहरी सांस लेते हुए सामने अपने अग्रभाग और कंधे को और पश्च भाग की ओर से दोनों पैरों और जांघों को ऊपर की ओर जितना संभव हो सके उठाइए।
  •  इस दौरान अपने श्वास को सामान्य बनाए रखें और अपना ध्यान नाभि के केंद्र बिंदु पर इस प्रकार बनाए रखें की दिल की धड़कन का आभास नाभि में भी हो।
  • इस तरह से आप अपने शरीर से एक धनुष की आकृति बनाएंगे। 
  • 2 से 3 मिनट तक इसी अवस्था में रहकर अभ्यास करें और फिर पूर्ववत अवस्था में आ जाएं।
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इन योगासनों के पश्चात अब आइए कुछ प्राणायाम के बारे में भी जान लें, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होते हैं।

क. कपालभाति प्राणायाम -


इस प्राणायाम को करने के लिए समतल भूमि पर आसन लगाकर ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं। इस दौरान अपनी कमर और गर्दन को सीधा रखें। इसके पश्चात सांस को तेजी से बाहर छोड़ने का प्रयास करें। ध्यान रहे कि इस दौरान सांस अंदर लेने का प्रयास नहीं करना है, क्योंकि स्वतः क्रिया के अन्तर्गत हल्की श्वास अपने आप ही भीतर चली जाएगी। अपना ध्यान श्वास को तेजी से केवल बाहर छोड़ने पर लगाएं। इस प्राणायाम से भी हमारे इम्यून सिस्टम पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

ख. भस्त्रिका प्राणायाम -


इस प्राणायाम को करने के लिए समतल भूमि पर कमर एवं गर्दन को सीधा रखते हुए ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद तेजी से सांस अंदर की ओर ले और बाहर की ओर छोड़ें। इस दौरान जब सांस अंदर की ओर लें तो पेट को बाहर निकालें और श्वास छोड़ते समय पेट अंदर खींचें। कुछ मिनटों तक इसका अभ्यास करें।

यह प्राणायाम फेफड़े को मजबूत बनाने के साथ-साथ शरीर द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता को भी बढ़ाता है। यह सीधे तौर पर हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होता है। साथ ही शरीर में नवीन ऊर्जा का संचार करके उसे रिजूवनेट करने में भी मदद करता है। इस प्राणायाम के अभ्यास से ब्लड सरकुलेशन भी बढ़ता है, जिससे ब्रेन की फंक्शनिंग अच्छी होती है और मेंटल अलर्टनेस बढ़ती है।

ग. अनुलोम विलोम -


कदाचित आप इस प्राणायाम से पूर्व से ही परिचित होंगे। इसको करने के लिए उसी प्रकार कमर एवं गर्दन को सीधा रखते हुए, समतल भूमि पर बैठ जाएं फिर। अपने सीधे हाथ के अंगूठे से दाहिने नासिका छिद्र को बंद करके बांए नासिका छिद्र से सांस अंदर की ओर लें। सांस अंदर लेने के पश्चात अनामिका अंगुली से बाएं नासिका के छिद्र को बंद करके, अंगूठे को हटाकर दाहिने नासिका छिद्र से सांस को बाहर की ओर छोड़ें। फिर उसी छिद्र से श्वास अंदर ले और बांए नासिका छिद्र से अनामिका को हटाकर श्वास को छोड़ें। इस दौरान श्वास अंदर लेने पर कुछ सेकंड रोककर रखें।

इसी क्रिया को 3 से 5 मिनट तक करें। यह प्राणायाम फेफड़ों, मस्तिष्क एवं इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायता करता है।

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C. संतुलित एवं अनुशासित जीवनशैली - Disciplined Lifestyle to Improve Immune System


हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए हमारी दिनचर्या एवं जीवनशैली का संतुलित एवं अनुशासित होना अनिवार्य है। इसके लिए प्रत्येक कार्य को ठीक समय पर करना आवश्यक है। जैसे अपने नाश्ते एवं भोजन का समय निश्चित करें और उसी समय पर भोजन करें। सोने और जागने समय भी निश्चित करें। क्योंकि एक अच्छी नींद को एक अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी माना जाता है। इसके अभाव में हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है, इसलिए कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें।

इसके अतिरिक्त कुछ बुरे व्यसनों जैसे एल्कोहॉल ड्रिंकिंग, धूम्रपान, तंबाकू आदि नशे की लत को छोड़ना भी जरूरी है। ये नशे की लत अंगों को क्षति पहुंचाते हैं। या फिर यूं कहें कि एक तरह से शरीर को अंदर से खोखला करती रहती हैं, जिससे इम्यून सिस्टम पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और शरीर किसी भी संक्रामक रोग की चपेट में में जल्दी आ जाता है। अतः इनका त्याग करना ही उचित है। इसके अलावा यदि आप शाकाहार को अपनाते हैं तो यह आपके लिए एक प्लस प्वाइंट साबित होगा।

निष्कर्ष - Wrapping Up

इस प्रकार से आप अपने खान-पान में समुचित पौष्टिक आहार और कुछ आयुर्वेदिक नुस्खों को शामिल करके इम्यूनिटी पावर में वृद्धि कर सकते हैं। साथ हीं योग, व्यायाम एवं संतुलित व अनुशासित जीवनशैली का सहारा लेकर भी अपने इम्यून सिस्टम को हमेशा मजबूत बनाए रख सकते हैं।

प्रस्तुत लेख में दी गई सूचना एवं बताए गए उपाय सामान्य जानकारी पर आधारित हैं। अतः विशेष ज्ञान हेतु संबंधित चिकित्सक से सलाह लेना उत्तम होगा।

आप इस लेख से कितने संतुष्ट हैं, कमेंट करके जरूर बताएं।

यद्यपि इस लेख बताए हुए उपाय लाभकारी एवं उपयोगी हैं, परन्तु इनके प्रत्येक व्यक्ति पर समान एवं वांछित रूप से प्रभावकारी होने का दावा नहीं किया जा सकता। अत: इनपर विशेषज्ञ की सलाह से आश्वस्त होकर अमल करना हीं उत्तम होगा।

गुरुवार, 4 जून 2020

नींबू के रस में है बालों की हर समस्या का इलाज - जानें उपयोग की विधि एवं लाभ | How To Cure Hair Problems With Lemon Juice In Hindi

नींबू को हम अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार से प्रयोग में लाते हैं। कभी हम इसका प्रयोग भोजन के साथ सलाद के रूप में करते हैं तो कभी शरबत तैयार करने के लिए इसे उपयोग में लाते हैं। यह सिट्रस फल हमारे पेट के लिए भी उत्तम होता है, अतः इसे पाचन क्रिया को दुरुस्त करने के लिए औषधि के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा यह उच्च रक्तचाप, मोटापा एवं कोलेस्ट्रल को भी प्रभावी रूप से कम करने में सहायता करता है। साथ हीं चुकि नींबू विटामिन सी का भी एक बहुत अच्छा स्रोत है, इसलिए इसका प्रयोग त्वचा एवं बालों के लिए भी करना काफी लाभदायक होता है।

आपको बता दें कि 100 ग्राम नींबू के रस में लगभग 77 मिलीग्राम विटामिन सी उपस्थित होता है। इसी कारण यह न केवल हमारी त्वचा की चमक बरकरार रखकर उसे जवां बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि हमारे बालों से जुड़ी कई तरह की समस्याओं को दूर करने में भी काफी उपयोगी होता है।

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Lemon Juice to Cure Hair Problems


नींबू के रस में है बालों की हर समस्या का इलाज - जानें उपयोग की विधि एवं लाभ - How To Cure Hair Problems With Lemon Juice In Hindi 

यहां पर हम आपको बालों के लिए नींबू का प्रयोग करने से होने वाले लाभ के बारे में बताएंगे। अगर आप भी बालों से जुड़ी विभिन्न प्रकार की समस्याओं जैसे डैंड्रफ, रूखे एवं बेजान बाल, बालों का झड़ना, सिर की त्वचा का सूखा होना यानी स्कैल्प ड्राइ होना इत्यादि से परेशान हैं तो यह लेख आपके लिए उपयोगी हो सकता है। क्योंकि आगे हम आपको बताएंगे कि नींबू का प्रयोग बालों में करने से किन किन समस्याओं से निजात पाया जा सकता हैं।

डैंड्रफ से दिलाए छुटकारा -  Helps Get Rid of Dandruff 

बालों में डैंड्रफ होने की समस्या वास्तव में ड्राई स्कैल्प का ही एक स्वरूप है। हमारी स्कैल्प जब ड्राइ हो जाती है अर्थात सूख जाती है तो उसकी परतें निकलने लगती हैं, जो हमें डैंड्रफ या उसी के रूप में दिखाई देती हैं। इस समस्या में भी नींबू का प्रयोग करना लाभकारी  माना जाता है। यह हमारे सिर की सूखी हुई चमड़ी यानी ड्राई स्कैल्प को नमी प्रदान करता है, जिसे Dandruff में कमी आती है।

डैंड्रफ के लिए नींबू को उपयोग में लाने की विधि - How to Use Lemon to fight Dandruff 

डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए नींबू का प्रयोग दही के साथ करना उत्तम होता है। इसके लिए आवश्यकतानुसार दही लेकर उसमें थोड़ा ताजे नींबू का रस मिलाएं और इसे अपने बालों की जड़ों में लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें। थोड़ी देर बाद इसे साफ ठंडे पानी से धो लें। कुछ दिनों तक इसका प्रयोग करने से स्कैल्प की नमी लौट आएगी और डैंड्रफ की समस्या से निजात मिलेगा।

इसके अतिरिक्त नींबू, नारियल तेल एवं शहद के मिश्रण से खुजली वाले डैंड्रफ की समस्या से भी छुटकारा मिलता है।

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बालों को चमकीला बनाने के लिए नींबू का प्रयोग - Using Lemon Juice for Shiny Hair 

नींबू का रस बालों को शाइनी एवं चमकदार बनाने के साथ-साथ उन्हें घना बनाने में भी मदद करता है। इसमें विटामिन सी के साथ-साथ फास्फोरस भी उपस्थित होता है, जो बालों के लिए आवश्यक है। इसका प्रयोग किसी भी रंग के बाल वाले लोग कर सकते हैं। यह उसे प्राकृतिक रूप से चमकदार और घना बनाने में मदद करता है।

प्रयोग करने की विधि - How To Use

बालों में नींबू का रस लगाने से पूर्व सबस पहले इसे तनु बना लें। इसके लिए एक से दो चम्मच नींबू के रस में थोड़ा सा एप्पल साइडर विनेगर और थोड़ा पानी मिलाकर इसे बालों सभी जगह समान रूप से अच्छी तरह लगाएं। उसे करीब 15 मिनट तक के लिए छोड़ दें और फिर अपने रेगुलर शैंपू से बालों को धो लें। इससे धूप से बेजान हुए बालों में भी नई चमक आ जाएगी।


बालों का झड़ना रोके - Prevent Hair Fall with Lemon Juice

आजकल बालों का झड़ना एक बेहद आम समस्या हो गई है, लेकिन यदि समय रहते इसे रोका ना जाए तो गंजेपन की समस्या भी हो सकती है। ऐसे में नींबू का प्रयोग करना काफी उपयोगी साबित होता है। चुकि यह बालों की जड़ों को मजबूत बनाकर उनका झड़ना रोकने में मदद करता है।

उपयोग करने की विधि - How To Use 

बालों का झड़ना रोकने के लिए नींबू का रस नारियल तेल में मिलाकर अपने बालों की जड़ों अर्थात स्कैल्प पर लगाएं। इससे बालों की जड़ों को मजबूती प्राप्त होती है और उनका झड़ना रुक जाता है।

बालों का झड़ना रोकने के लिए नींबू के रस का प्रयोग हेना पाउडर अर्थात मेहंदी के साथ भी किया जा सकता है। इसके लिए मेहंदी पाउडर का पेस्ट बनाकर उसमें दो चम्मच नींबू का रस मिलाएं। इस पेस्ट को अपने बालों की जड़ों में अच्छी तरह लगाकर 15 से  20 मिनट तक रखें और फिर धो डालें। यह बालों का झड़ना रोकने के कारगर उपाय में से एक है।

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नींबू से करें स्कैल्प इन्फेक्शन दूर - Lemon Treats Infection And Itchy Scalp

गर्मी के दिनों में यदि हम बालों की साफ सफाई का ध्यान नहीं रखते हैं तो पसीने की नमी की मौजूदगी के कारण बैक्टीरिया व फंगस आदि उत्पन्न हो जाते है। इससे स्कैल्प का इन्फेक्शन होने की आशंका रहती है। जिसके फलस्वरूप सिर में खुजली या कभी-कभी घाव जैसी समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। इस समस्या से निजात दिलाने में भी नींबू का रस काफी उपयोगी होता है। यह इंफेक्शन पैदा करने वाले कीटाणुओं को नष्ट कर देता है और स्कैल्प को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है।

उपयोग में लाने की विधि - How To Use

इसका प्रयोग शहद के साथ भी कर सकते हैं। यूं तो शहद और नींबू का प्रयोग खराब गले को ठीक करने में भी किया जाता है, परंतु यह स्कैल्प की खुजली को ठीक करने में भी बहुत ही कारगर है। इनके मिश्रण को बालों में लगाकर 20 से 30 मिनट तक रखें और फिर धो डालें। इससे सिर की त्वचा अर्थात स्कैल्प की खुजली से राहत मिलती है।


बालों को पोषण देकर घना बनाए - Intensifies and Boost Hair Growth

पर्याप्त पोषण की कमी कारण कई बार बाल पतले होकर टूटने लगते हैं। इस समस्या को दूर करने में भी नींबू कारगर है। यह बालों को पोषण देता हैै, इससे हेयर ग्रोथ में सहायता मिलती है, जिससे ये बालों को तेजी से बढ़ाने में मदद करता है। इससे बाल घने और मजबूत हो जाते हैं।

प्रयोग में लाने की विधि - How To Use

बालों को घना और मजबूत बनाने के लिए ताजे नींबू के रस को कैस्टर ऑयल यानी अरंडी के तेल अथवा जैतून के तेल के साथ मिलाकर प्रयोग में लाया जा सकता है। इसके लिए इस मिश्रण को अपने बालों में स्नान करने के लिए करीब आधे या एक घंटे पहले लगाएं और फिर स्नान करते समय अपने रेगुलर शैंपू से बालों को धो लीजिए। इससे बालों को विटामिन सी के साथ साथ विटामिन ई का भी भरपूर पोषण मिलता है।

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सावधानी - Word Of Caution

आप इस बात का ध्यान रखें कि यदि आपको पहले से एक्जिमा या सोरायसिस जैसे त्वचा संबंधी समस्याएं हैं तो ऐसी स्थिति में आपके लिए नींबू का प्रयोग करना ठीक नहीं होगा। क्योंकि इससे स्किन इरिटेशन या जलन जैसी दिक्कतें हो सकती है।

नींबू में चुकि सिट्रिक एसिड की सांद्रता होती है। इसलिए केवल नींबू के रस को सीधे अपने बालों में ना लगाएं। ऐसा करने से बालों में से कैरोटीन का क्षय हो सकता है। अतः उपयोग में लाने से पहले इसे डिल्यूट करें अर्थात पानी या किसी अन्य तनु कारक जैसे दही, शहद, नारियल तेल व हिना पेस्ट में मिलाकर तनु बनाकर हीं उपयोग में लाएं। साथ हीं पहली बार प्रयोग में लगाने से पहले पैच टेस्ट अवश्य करें। क्योंकि यदि आपकी त्वचा सेंसिटिव है तो ऐसा करके आप स्किन इरिटेशन से खुद को बचा सकते हैं।

यद्यपि ये घरेलू उपाय प्राकृतिक हैं, किंतु हम इनके आंशिक या पूर्णतया प्रभावकारी होने का दावा नहीं करते। अतः इनका प्रयोग विशेषज्ञ की सलाह से आश्वस्त होकर हीं करें।

बुधवार, 27 मई 2020

पैर की बदबू दूर करने के 5 कारगर घरेलू उपाय | 5 Useful Home Remedies For Smelly And Stinky Feet In Hindi

हम में से बहुत से लोग कुछ देर तक जूते को पहनकर जब उसे उतारते हैं तो पैरों से बड़ी तेज बदबू (Foot odor) आने लगती है। इस तरह की अप्रिय गंध की वजह से कई बार हमें काफी शर्मिंदगी भी झेलनी पड़ जाती है। जाहिर सी बात है, कोई भी ऐसी दुर्गंध को पसंद नहीं करेगा, ना हीं आप और ना ही कोई और। वास्तव में इसका कारण पैरों में अधिक पसीना होना है। इसी पसीने की वजह से बदबू फैलाने वाले बैक्टीरिया तेजी से पनपने लग जाते हैं और पैरों के साथ-साथ हमारे जूतों से भी बदबू आने लगती है। हालांकि पैरों को धो लेने के बाद दुर्गंध काफी हद तक कम हो जाती है, लेकिन यह समस्या जड़ से दूर नहीं होती है।

यदि आपके साथ भी कुछ ऐसी हीं परेशानी है तो यह लेख आपकी सहायता कर सकता है। इसमें आगे हम कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बताएंगे, जिनका प्रयोग करके आप पैर की दुर्गंध को कम कर सकते हैं। साथ हीं इन उपायों के प्रयोग से पैरों में अधिक पसीना होने की समस्या को भी नियंत्रित कर सकते हैं।
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पैरों की बदबू दूर करने के घरेलू उपाय ( Home Remedies for Stinky Feet or Foot Odor ) 

उपाय 1 -

खाने का सोडा अर्थात Baking soda को हम व्यंजनों के लिए इस्तेमाल करते हैं। यह लगभग हम सभी के किचन में मौजूद होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि बेकिंग सोडा का उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने के अलावा एक Deodoriser के रूप में भी कर सकते हैं। यानी कि इसके उपयोग से पैरों से आने वाली बदबू को कम किया जा सकता है।

इसके लिए एक से दो चम्मच बेकिंग सोडा पाउडर को लीजिए और इसको हल्के गुनगुने पानी में मिला दीजिए। अब इसी पानी में अपने पैरों को 10 से 15 मिनट तक Soak कीजिए अर्थात पैरों को डूबा कर रखिए। कुछ दिनों तक ऐसा करते रहने से पैरों में अधिक पसीना आने की समस्या कम हो जाती है। इससे बदबू आने की समस्या भी दूर हो जाती है।

उपाय 2 -

पैरों की दुर्गंध को कम करने के लिए यदि आप चाहें तो किसी सुगंधित तेल, जैसे लैवेंडर ऑयल आदि का भी प्रयोग कर सकते हैं। यह पसीने की वजह से उत्पन्न हुए बैक्टीरिया को मार कर बदबू दूर करता है। इसका प्रयोग आप सोने से पहले कर सकते हैं। इसकी कुछ बूंदें हाथों में लेकर पैरों में लगाएं तथा एक साफ मोजे से पैरों को ढक लें। ऐसा करने से पैरों से दुर्गंध आना बंद हो जाता है।

उपाय 3 -

पैरों की दुर्गंध दूर करने में सिरका यानी Vinegar का उपयोग करना काफी कारगर साबित होता है। चुकि सिरके में एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होता है, जो बदबू फैलाने वाले कीटाणुओं को नष्ट कर देता है। इसका उपयोग करना भी बहुत ही आसान है। हम जानते हैं कि सिरका काफी सांद्र होता है, इसलिए इसकी थोड़ी सी मात्रा ही काफी होती है। इसे तनु बनाने के लिए एक से दो छोटे ढक्कन सिरके को पानी में मिलाकर उससे अपने पैरों को थोड़ी देर तक धोएं। ऐसा करने से पैरों से कितनी भी तेज दुर्गंध आ रही हो, वह तत्काल दूर हो जाएगी।

उपाय 4 -

चाय एक ऐसा पेय पदार्थ है, जो Herb भी है और Spice भी। इसे लोग बड़े चाव से पीते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि चाय में दुर्गंध को सोखने की भी क्षमता मौजूद होती है। यह एक प्राकृतिक डिओडराइजर का भी कार्य करता है। ऐसे में इसका उपयोग हम पैर की बदबू को दूर करने के लिए भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको केवल ब्लैक टी तैयार करनी होगी। इसी ब्लैक टी से हल्का गुनगुना रह जाने पर अपने पैरों को धोएं या कुछ देर तक उसमें डूबा कर रखें। यह पैरों की बदबू को खत्म करने में कारगर होता है।

उपाय 5 -

फिटकिरी (Alum) में चुकि एंटीसेप्टिक के साथ-साथ एंटीबैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं, इसलिए इसका प्रयोग कई तरह के औषधीय उपचार में भी किया जाता है। उन सबके अलावा इसका प्रयोग हम शरीर से निकलने वाले अधिक पसीने को कम करने के लिए भी कर सकते हैं। जिससे यह बदबू को भी नष्ट करने में सहायक होती है।

इसके लिए आपको आवश्यकता होगी, फिटकिरी के चूर्ण यानि पाउडर की। यह आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है, या फिर आप एक फिटकिरी के ढेले को कूटकर भी चूर्ण बना सकते हैं। पैर में होने वाले अधिक पसीने को कम करने के लिए एक मग पानी लेकर उसमें एक चम्मच फिटकिरी का चूर्ण मिला दें और इसी पानी से आपने पांव को आराम से धो लें। इससे पैरों में होने वाले पसीने में कमी आएगी, जिससे दुर्गंध भी दूर रहेगी।

अन्य उपाय -

इन सभी उपायों के अलावा पैरों की बदबू दूर रखने के लिए कुछ और बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक है। जैसे, अपने जूतों और मोजे को हमेशा साफ रखें। मोजे को नियमित रूप से बदलते रहे और जूतों को पैरों से उतारने के बाद उसको कुछ देर तक धूप में रखें। इससे बदबू फैलाने वाले बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।

मंगलवार, 26 मई 2020

मिट्टी के घड़े व मटके का पानी पीने के लाभ | Amazing Health Benefits of Drinking Clay Pot Water in Hindi

हमारे जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में पानी काफी महत्वपूर्ण है। इसकी जरूरत हम सभी को है। ऐसे में यदि हम यह कहें कि भोजन से भी अधिक आवश्यक पानी है, तो यह गलत नहीं होगा। इसकी महत्ता इसी बात से समझी जा सकती है कि हमारे शरीर का लगभग एक तिहाई भाग पानी से हीं निर्मित है। अतः इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

ये तो हुई पानी की महत्ता की बात, लेकिन साथ ही इसकी गुणवत्ता भी उतनी ही आवश्यक है। तात्पर्य यह कि नियमित रूप से शरीर को पर्याप्त पानी की आपूर्ति होना तो जरूरी है हीं, साथ ही यह भी आवश्यक है कि पानी के साथ-साथ हमें संतुलित मात्रा में मिनरल्स अर्थात खनिज तत्व भी प्राप्त हों। आजकल तो साफ एवं मिनरल्स युक्त पानी के लिए तरह-तरह के वॉटर प्यूरीफायर्स और उसे ठंडा करने के लिए रेफ्रिजरेटर का चलन बढ़ता ही जा रहा है।  ऐसे में हम पानी को स्टोर करने के उन परंपरागत माध्यमों को भूलते जा रहे हैं, जो सीधे तौर पर हमारी सेहत से जुड़े हुए हैं। यहां हम बात कर रहे हैं, मिट्टी की सुराही या मिट्टी के घड़े व मटके आदि की।

तो आइए इस लेख में हम जानते हैं कि मिट्टी के घड़े या सुराही में रखा हुआ पानी पीने से क्या-क्या लाभ मिलते हैं और यह किस तरह हमारी अच्छी सेहत को बरकरार रखने में मदद करता है।

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मिट्टी के घड़े या मटके का पानी पीने के लाभ ( Health benefits of drinking clay pot water ) 

पीने का पानी रखने के लिए ये वो परंपरागत माध्यम हैं, जिनका काफी पहले से प्रयोग किया जाता रहा है। इसका उपयोग ना केवल पानी को प्राकृतिक रूप से ठंडा रखने के लिए किया जाता है, बल्कि इसके तार हमारी सेहत से भी जुड़े हुए हैं। जिस कारण चिकित्सक भी हमें मिट्टी के घड़े या मटके का पानी पीने की सलाह देते हैं। आगे जानें, किसलिए यह एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है।




फ्रिज के ठंडे पानी से कहीं उत्तम ( Much better than chilled water )


गर्मी के भीषण दिनों में जब भी ठंडे पानी की बात की जाती है, तो ज्यादातर लोगों को सिर्फ और सिर्फ रेफ्रिजरेटर का बर्फीला पानी ही याद आता है। लेकिन यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि लगातार फ्रिज का पानी पीते रहने से हमारी सेहत पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

फ्रिज का कम तापमान वाला बर्फीला पानी हमारे शरीर के तापमान संतुलन को बिगाड़ सकता है। इसके अतिरिक्त यह गला खराब होने अथवा टॉन्सिल बढ़ने का भी कारण बन सकता है। वहीं अगर हम फ्रिज का बर्फीला पानी पीने के बजाय मिट्टी के घड़े या सुराही में रखा हुआ पानी पिएं, तो यह हमारे गले के लिए अच्छा होता है। साथ हीं शरीर की रस प्रक्रियाओं यानी मेटाबॉलिज्म (Metabolism) के लिए भी काफी अनुकूल होता है।

वाष्पीकरण के कारण यह ना केवल प्राकृतिक रूप से शीतल रहता है, बल्कि काफी संतुलित रूप से ठंडा होता है। इससे हमारी प्यास भी तुरंत ही बुझ जाती है और शरीर का तापमान भी बैलेन्स्ड रहता है, जबकि फ्रिज का पानी पीने पर ठीक इसका उल्टा प्रभाव होता है।

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इम्यूनिटी बढ़ाकर निरोग बनाए ( Immunity booster ) 


मिट्टी के घड़े की एक खासियत यह भी होती है कि यह पानी में घुली हुई कई प्रकार की अशुद्धियों को सोख लेता है। इसमें पानी रखकर 3 से 4 घंटे तक के लिए छोड़ देने पर उसकी बहुत सी अशुद्धियां दूर हो जाती हैं। साथ हीं चुकि यह मिट्टी (Clay) से बना होता है, इसलिए इसमें रखा हुआ पानी मिनरल्स से भी भरपूर हो जाता है। इससे यह हमारे शरीर के विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता यानी कि इम्यूनिटी (Immunity) को बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त यह हमारे शरीर में मौजूद सूक्ष्म विषाक्त पदार्थों अर्थात टॉक्सिंस को साफ करने में भी मदद करता है, जिससे शरीर निरोग बना रहता है।

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पेट व पाचन की गड़बड़ी दूर करने में सहायक ( Excellent for digestive system ) 


पेट व पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में भी मिट्टी के घड़े का पानी अति उत्तम होता है। चुकि मिट्टी के घड़े व सुराही आदि में कुछ समय तक पानी रखने पर वह संतुलित रूप से एल्कलाइन अर्थात क्षारीय गुणों से युक्त हो जाता है, जो हमारे पेेेट की अधिक अम्लीयता को दूर करके पीएच मान को संतुलित बनाए रखनेेे में सहायक होता है।
इसलिए यदि हम मिट्टी के घड़े या सुराही का पानी पीते हैं तो यह पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याओं जैसे, गैस, एसिडिटी, अपच एवं कब्ज आदि से निजात दिलानेे में सहायता करता है।

लू लगने से बचाए ( Protection against sunstroke )


गर्मी के दिनों में धूप की तपिश और लू का प्रकोप बहुत अधिक होता है। इससे रक्षा करने में भी मिट्टी के घड़े व मटके का पानी पीना लाभकारी होता है। यह हमारे शरीर को शीतलता प्रदान करने के साथ साथ जरूरी खनिज तत्वों की पूर्ति भी करता है। साथ ही शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने में भी मदद करता है।

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इस दृष्टिकोण से भी बेहतर ( For good cause too )


एक ओर तो मिट्टी की सुराही व मटके में रखा हुआ पानी नेचुरल तरीके से ठंडा बना रहता है, जिससे कुछ सीमा तक बिजली की बचत भी की जा सकती है, जोकि रेफ्रिजरेटर चलाने में उपयोग होती है। साथ हीं यदि प्लास्टिक की बोतलों की जगह हम इन्हीं मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करें तो यह इको फ्रेंडली भी रहता है।

इसके अतिरिक्त यह इस दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है कि इनके उपयोग में इस परंपरागत स्रोत के चलन को जीवित रखने के साथ-साथ, इसे बनाने एवं बेचने वालों का भी हित निहित होता है। इससे हम एक तरह का सामाजिक कार्य भी करते हैं।




तो इस प्रकार अपने जाना कि मिट्टी के घड़े मटके या सुराही का पानी पीना हमारी सेहत के लिए कितना लाभकारी हो सकता है। आप चाहेे तो आज से हीं इसका लाभ उठाना शुरू कर सकते हैं। लेकिन पानी के लिए मिट्टी का कोई भी बर्तन लेने के बाद उसका सही रखरखाव करना भी जरूरी है। जैसे, प्रतिदिन घड़े या मटके का पानी बदलना और हर 3 दिन बाद उसे अच्छी तरह साफ करना। ऐसा करके आप उसके पूरे फायदे ले सकते हैं।