योग एक ऐसी वैज्ञानिक क्रिया है, जिससे हम विभिन्न आसन अर्थात मुद्राओं के द्वारा अपनी पूरी बॉडी को रेगुलेट कर सकते हैं। योग एवं प्राणायाम हमारे स्वास्थ्य के लिए वरदान समान होते हैं। इससे हमारे शरीर की बहुत सारी समस्याएं प्राकृतिक रूप से ही ठीक हो जाती है। इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे योगाभ्यास के बारे में बताएंगे, जिसको करने से हमारी हड्डियों और मांसपेशियों से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसका नाम है, भुजंगासन।
भुजंगासन एक संस्कृत शब्द है, इसका विच्छेद करने पर दो अर्थ निकाल कर आते हैं इनमें भुजंग का अर्थ होता है सर्प और आसन का अर्थ होता है मुद्रा। इसको अंग्रेजी में कोब्रा पोज भी कहा जाता है। जैसा के शब्द से इसका अर्थ प्रकट होता है, भुजंंग आसन का शाब्दिक अर्थ है, सर्प के फन के समान मुद्रा। यह आसन सूर्य नमस्कार के 12 मुद्राओं में से 8वां आसन है। अब आइए जानते हैं कि इस आसन को करने की विधि क्या है?
भुजंगासन करने की विधि ( Bhujangasana Steps )
इस आसन को करने से पहले एक बात का ध्यान रखें कि आपका पेट एकदम खाली रहना चाहिए। या फिर आपको भोजन किए हुए 4 से 6 घंटे हो चुके हों, तब ताकि भोजन अच्छी तरह पच चुका हो। इन सब बातों को देखते हुए यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि इस योगासन को करने का सबसे अच्छा समय सुबह में ही होता है। अगर आप सुबह में नहीं कर पाते हैं तो इस आसन को शाम के समय भी कर सकते हैं।
विधि
इसे भी पढ़ें - सूर्य नमस्कार योग कैसे करें, जानें स्टेप बाई स्टेप विधि और इसके फायदे
भुजंगासन से लाभ ( Benefits of Bhujangasana )
विशेष - हम आशा करते हैं कि भुजंगासन के इतने ढेर सारे फायदे जानने के बाद आप इसे जरूर करना पसंद करेंगे। पर तो यहां पर हम आपको भुजंगासन करने की एक और रोचक वजह से अवगत कराना चाहेंगे। वास्तव में भुजंगासन करने के दौरान जिस वैज्ञानिक प्रक्रिया के अंतर्गत हम गुजरते हैं, उससे यह हमारे सात ऊर्जा चक्रों जिन्हें कुंडलिनी भी कहते हैं, उनमें से चार ऊर्जा चक्रों, विशुद्ध चक्र, अनाद चक्र, मणिपुर चक्र एवं स्वाधिष्ठान चक्र को ऊर्जावान बनाने और जागृत करने में सहायता करता हैं, जो इसके अत्यंत रोचक एवं महत्वपूर्ण फायदे में से एक है।
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सावधानी ( Caution )
इस आसन को करने से पहले निम्नलिखित बातों को हमेशा याद रखें। इस योगासन को पीठ के गंभीर चोट, हर्निया, पेट की सर्जरी, प्रेगनेंसी एवं माइग्रेन आदि जैसी स्थितियों में नहीं करना चाहिए।
हम आशा करते हैं कि यह पोस्ट और इसमें दी हुई जानकारी आप सभी के लिए काफी उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक रहेगी रहेगी।
आपको यह जानकारी कैसी लगी अपने विचार हमें अवश्य बताएं। साथ ही साथ इस उपयोगी जानकारी को शेयर अवश्य करें।
भुजंगासन एक संस्कृत शब्द है, इसका विच्छेद करने पर दो अर्थ निकाल कर आते हैं इनमें भुजंग का अर्थ होता है सर्प और आसन का अर्थ होता है मुद्रा। इसको अंग्रेजी में कोब्रा पोज भी कहा जाता है। जैसा के शब्द से इसका अर्थ प्रकट होता है, भुजंंग आसन का शाब्दिक अर्थ है, सर्प के फन के समान मुद्रा। यह आसन सूर्य नमस्कार के 12 मुद्राओं में से 8वां आसन है। अब आइए जानते हैं कि इस आसन को करने की विधि क्या है?
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भुजंगासन योग करने की विधि और लाभ |
भुजंगासन करने की विधि ( Bhujangasana Steps )
इस आसन को करने से पहले एक बात का ध्यान रखें कि आपका पेट एकदम खाली रहना चाहिए। या फिर आपको भोजन किए हुए 4 से 6 घंटे हो चुके हों, तब ताकि भोजन अच्छी तरह पच चुका हो। इन सब बातों को देखते हुए यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि इस योगासन को करने का सबसे अच्छा समय सुबह में ही होता है। अगर आप सुबह में नहीं कर पाते हैं तो इस आसन को शाम के समय भी कर सकते हैं।
विधि
- इस आसन को करने के लिए किसी समतल पर पेट के बल इस प्रकार लेट जाएं कि आपकी ठुड्डी जमीन से सटी हुई हो।
- दोनों पैरों के पीछे इस प्रकार से फैलाएं कि वे एकदम सीधी हो। दोनों पैरों के बीच थोड़ा सा गैप अवश्य रखें।
- इसके बाद दोनों हाथों को जमीन से टिका कर स्थिर रखें।
- अब दोनों हाथों पर जोर देकर सांसें अंदर की ओर लेते हुए शरीर के अगले हिस्से यानी छाती और मस्तक को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और ऊपर की ओर देखें।
- अपने हाथों को 90 डिग्री तक सीधा कर लें और दोनों कंधों को कानों से दूर रखें।
- इसी पोजीशन में थोड़ी देर कुछ सेकंड रुक कर फिर सांस छोड़ते हुए शरीर को नीचे लेकर आएं। इसी प्रक्रिया को कुछ समय तक दोहराते रहें।
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भुजंगासन से लाभ ( Benefits of Bhujangasana )
- इस प्रभावी भुजंग आसन से कंधे, सीने, पीठ और पेट की मांसपेशियों में जो खिंचाव पैदा होता है, उससे शरीर को और अधिक लचीलापन एवं मजबूती मिलती है। साथ हीं सांस की बीमारियां दूर रहती हैं और फेफड़े भी स्वस्थ रहते हैं।
- इसके अलावा इससे स्पाइन यानी रीढ की हड्डी में दर्द, कमर अकड़ जाना और शरीर के अन्य जोड़ों से जुड़ी समस्या दूर हो जाती है।
- इससे हमारा पाचन तंत्र और गुर्दे भी स्वस्थ रहते हैं। साथ ही पेट के निचले हिस्से के सभी अंग दुरुस्त रहते हैं।
- भुजंगासन से पेट की चर्बी कम करने में सहायता मिलती है, जिससे यह टमी को फ्लैट बनाने में उपयोगी होता है।
- यह योग स्ट्रेस को कम करने, मानसिक तनाव और शारीरिक थकान को दूर करने में भी बहुत उपयोगी है।
- भुजंग आसन के ओवरऑल इंपैक्ट से हमारे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन भी नॉर्मल हो जाता है। फेफड़े और हृदय के बीच का मार्ग सुगम होता है, जिससे नस एवं ह्रदय संबंधी समस्या कभी उत्पन्न नहीं होती।
- इस आसन के प्रभाव से महिलाओं के मासिक नियम से जुड़ी अनियमितता भी दूर होती है।
- यदि किसी व्यक्ति को श्वास से जुड़ी परेशानी जैसे दमा आदि है तो उनके लिए यह योग आसन वरदान के समान है।
विशेष - हम आशा करते हैं कि भुजंगासन के इतने ढेर सारे फायदे जानने के बाद आप इसे जरूर करना पसंद करेंगे। पर तो यहां पर हम आपको भुजंगासन करने की एक और रोचक वजह से अवगत कराना चाहेंगे। वास्तव में भुजंगासन करने के दौरान जिस वैज्ञानिक प्रक्रिया के अंतर्गत हम गुजरते हैं, उससे यह हमारे सात ऊर्जा चक्रों जिन्हें कुंडलिनी भी कहते हैं, उनमें से चार ऊर्जा चक्रों, विशुद्ध चक्र, अनाद चक्र, मणिपुर चक्र एवं स्वाधिष्ठान चक्र को ऊर्जावान बनाने और जागृत करने में सहायता करता हैं, जो इसके अत्यंत रोचक एवं महत्वपूर्ण फायदे में से एक है।
इसे भी पढ़ें - एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए करें ये 4 योग
सावधानी ( Caution )
इस आसन को करने से पहले निम्नलिखित बातों को हमेशा याद रखें। इस योगासन को पीठ के गंभीर चोट, हर्निया, पेट की सर्जरी, प्रेगनेंसी एवं माइग्रेन आदि जैसी स्थितियों में नहीं करना चाहिए।
हम आशा करते हैं कि यह पोस्ट और इसमें दी हुई जानकारी आप सभी के लिए काफी उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक रहेगी रहेगी।
आपको यह जानकारी कैसी लगी अपने विचार हमें अवश्य बताएं। साथ ही साथ इस उपयोगी जानकारी को शेयर अवश्य करें।
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