सोमवार, 28 सितंबर 2020

डिप्रेशन से निपटने के लिए योग, आहार एवं अन्य प्रभावी उपाय| Effective Ways to Overcome Depression | Yoga, Food And More

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दुनिया भर में डिप्रेशन एक गंभीर समस्या है और इससे उभरना उससे भी बड़ी चुनौती। यह एक ऐसी मनःस्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति के मन में जीवन की विविध क्रियाओं के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है। जब यह स्थिति कुछ हफ्तों से ज्यादा समय तक बनी रहती है तो इसको क्लिनिकल डिप्रेशन कहा जाता है, इसके कई स्टेज होते हैं, लेकिन जब यह क्लिनिकल स्टेज में पहुंच जाता है, तब ऐसी परिस्थिति में इसका उपचार करने की आवश्यकता होती है। यदि सही वक्त पर इसका उपचार ना किया जाए तो यह काफी गंभीर रूप भी ले सकता है। यहां तक कि इससे पीड़ित व्यक्ति खुद की जान लेने के बारे में भी सोचने लगते हैं।


नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे 2015-16 के अनुसार, भारत में औसतन प्रत्येक 20 में से एक यानी कि 5% व्यक्ति के किसी ना किसी लेवल तक डिप्रेशन की समस्या से ग्रस्त होने का अनुमान लगाया गया। वही यदि विश्व स्तर पर देखा जाए तो यह आंकड़ा लगभग 3.5 से 6% है। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि यह समस्या कितनी व्यापक है।


डिप्रेशन का कारण (Cause of Depression) -


कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी चीज के प्रति काफी अधिक लगाव या चाहत रखता है। फिर चाहे वह कोई व्यक्ति हो कोई काम हो या फिर कोई आदत। वह हमेशा उसी के सहारे जीना चाहता है। लेकिन कई बार जब वह चीज अचानक उसकी जिंदगी से बाहर हो जाती है, तो उसकी जिंदगी में एक अप्रत्याशित खाली स्थान या अनएक्सपेक्टेड गैप बन जाता है। जब वह व्यक्ति जीवन को व्यापक रूप में ना देख कर इसी गैप में फंस कर रह जाता है, तो उसमें जीवन की अन्य क्रियाओं के प्रति रुचि घटने लगती है और धीरे-धीरे वह सभी से दूर होता चला जाता है। वास्तव में यही डिप्रेशन यानी अवसाद कहलाता है।


इसके अतिरिक्त अचानक से लगने वाला सदमा, लंबे समय से कोई बीमारी, निद्रा रोग, नशीले पदार्थों का सेवन, अधिक वक्त तक तनाव और चिंता (Stress and Anxiety) आदि का बने रहना भी डिप्रेशन का कारण बन जाता है।


डिप्रेशन के लक्षण (Symptoms of Depression) -


डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं -


1. अपने दैनिक कार्यों के प्रति अरुचि


2. ज्यादातर उदास रहना अथवा अचानक ज्यादा गुस्सा या ज्यादा चिड़चिड़ापन होना


3. लोगों से मिलना जुलना अवॉइड करना


4. अनियमित भूख होना, जिसके परिणामस्वरूप वजन गिर जाना या अधिक बढ़ना


5. बहुत कम सोना या बहुत अधिक सोना


6. थका हुआ और ऊर्जाहीन महसूस करना


7. आत्मविश्वास घट जाना


8. बाहर निकलने या लोगों से बात करने में हिचकना


9. अनावश्यक रूप से स्वयं को दोषी ठहराना या खुद को हमेशा कमतर समझना (Low feeling)


10. एकाग्रता बनाए रखने और निर्णय लेने की क्षमता में उल्लेखनीय रूप से कमी आना


11. बेवजह जोखिम भरा काम करना


12. खुद को क्षति पहुंचाने की कोशिश करना


एक डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति में इनमें से कुछ या सभी लक्षण दिखाई दे सकते हैं। यह निर्भर करता है कि वह व्यक्ति कितने समय से और किस लेवल तक डिप्रेशन से ग्रस्त है।


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डिप्रेशन से निपटने के उपाय (Effective Ways to Overcome Depression) -


डिप्रेशन एक ऐसा मानसिक रोग है, जिसका उपचार संभव है। लेकिन इसका उपचार किस तरह होना चाहिए, यह उसके स्टेज पर निर्भर करता है। तात्पर्य यह है कि व्यक्ति कितने समय से इस समस्या से ग्रस्त है।


यदि कोई व्यक्ति अधिक समय से डिप्रेशन से ग्रस्त है तो वह क्लिनिकल स्टेज का डिप्रेशन होता है, जिसके लिए मेडिकेशन और चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता होती है। लेकिन यदि यह इनिशियल यानी शुरूआती स्टेज में है तो शुरू में ही सही प्रयास द्वारा इसका उपचार किया जा सकता है।


इस लेख में हम आपको डिप्रेशन से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण एवंं लाभकारी योग, जरूरी आहार और कुछ अन्य प्रभावकारी उपायों से अवगत कराएंगे। इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें, क्योंकि हमें विश्वास है कि इसे पढ़कर आपके भीतर एक नई ऊर्जा और नवीन चेतना का संचार होगा और आप सकारात्मकता से भर जाएंगे। इसलिए धैर्यपूर्वक आखिर तक अवश्य पढ़ें।


1. डिप्रेशन दूर करने के लिए योग आसन (Yoga For Depression) -


योग कई तरह के शारीरिक व्याधियों को दूर करने में सहायक होते हैं। इसका ना केवल हमारे शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी काफी अनुकूल प्रभाव पड़ता है। अतः ये हमारे मन-मस्तिष्क को शांत और स्ट्रेस फ्री रखने में भी उपयोगी सिद्ध होते हैं।


यहां आगे हम कुछ ऐसे ही योगासनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो तनाव और डिप्रेशन आदि दूर करने में कारगर साबित हो सकते हैं।


I. सेतुबंध आसन (Bridge Pose) -


1. समतल भूमि पर चटाई बिछाकर उसके ऊपर पैर फैलाकर पीठ के बल लेट जाएं।


2. अब अपने दोनों घुटनों को मोड़ें और दोनों पैर के तलवों को जमीन पर स्थापित करें।


3. दोनों पैर की एड़ियां जितना हो सके पीछे लाएं और दोनों पंजों के बीच लगभग 1 फीट की दूरी बना दें।


4. दोनों हाथों को भूमि पर टिका दें।


5. अब सांस अंदर लेते हुए शरीर के मध्य भाग (नितम्ब, टेल बोन, कमर) और पीठ को धीरे धीरे ऊपर उठाएं।


6. दोनों कंधों को जमीन से लगाए रखे उन्हें मोड़े नहीं। यदि चाहे तो कंधों के पास सपोर्ट के लिए कोई मोटा कपड़ा लगा सकते हैं।


7. सुनिश्चित करें कि चेस्ट आपकी ठुड्डी को स्पर्श कर ले और दोनों जांघ भूमि के समांतर हो।


8. यदि आप चाहें तो दोनों हथेलियों से कमर को सपोर्ट भी दे सकते हैं।


9. इस दौरान सिर को स्थिर रखें।


10. लगभग 30 सेकंड तक इसी पोजीशन में रहें और सांस छोड़ते हुए पहले की अवस्था में आ जाए।


इसी क्रिया को आप 4 से 5 बार रिपीट करें।


लाभ - यह योगासन दिमाग को शांत करने और डिप्रेशन से राहत दिलाने में मदद करता है। साथ ही थकान, मानसिक तनाव, पैर की थकावट, पीठ दर्द, सिरदर्द एवं अनिद्रा आदि में भी आराम पहुंचाता है। यह पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में भी मदद करता है। साथ में पेट के दूसरे अंगों और फेफड़ों को भी स्टिम्युलेट करता है।


ध्यान दें - यदि कमर या गर्दन से संबधित कोई दिक्कत है तो ये योग आसन मत करें।



II. उत्तानासन (Standing forward bend) -

1. इस योग आसन को करने के लिए समतल जमीन पर सीधे खड़े हो जाएं।


2. सांस बाहर छोड़ते हुए हिप बोन के पास से शरीर को मोड़ते हुए नीचे झुकाएं।


3. कमर के जोड़ से शरीर को ना मोड़ें, पीठ और स्पाइन को सीधा रखने का प्रयास करें।


4. सिर को ढीला छोड़ दें और गर्दन टाइट ना करें।


5. दोनों पैरों को सीधा रखें, मोड़ें नहीं।


6. नीचे झुकने के बाद यदि संभव हो तो हथेलियों को भूमि पर टिका दें, अन्यथा उन्हें दोनों पैरों के पिछले हिस्से पर रखकर स्थिर कर लें।


7. इसी पोजीशन में रहकर जब सांस अंदर लें तो धड़ को थोड़ा ऊपर उठाएं और फिर सांस छोड़ते हुए और भीतर की ओर धड़ को मोड़ने का प्रयास करें। ऐसा 4 से 5 बार करें।


8. आधे से एक मिनट तक यही क्रिया करें। फिर सांस अंदर लेते हुए और पीठ को सीधा रखते हुए अपने धड़ को हिप बोन के सहारे ही ऊपर उठाएं।


ध्यान रखें - इस योग को करने के लिए शरीर को लचीला बनाना जरूरी है। इसलिए इसे करने से पहले स्ट्रैचिंग जरूर करें।


यह योगासन हमारे मेंटल हेल्थ के लिए बहुत ही लाभदायक है यह डिप्रेशन और स्ट्रेस से आराम दिलाने में मदद करता है साथ ही साथ लिवर और किडनी की फंक्शन भी ठीक करता है जो घुटने जान फूल है  पिंडली और हैमस्ट्रिंग के लिए भी लाभदायक होता है इसके अतिरिक्त यह पाचन विकार दमा उच्च रक्तचाप साइनस सिर दर्द अनिद्रा और ऑस्टियोपोरोसिस आदि में भी लाभ पहुंचाता है।


III. बालासन (Child Pose) -


इस योग आसन को करने के लिए समतल भूमि पर चटाई बिछाकर घुटने के बल पर इस प्रकार बैठ जाइए दोनों टखने और एड़ियां आपस में टच हो जाएं।


अब धीरे धीरे दोनों घुटने  बाहर की ओर जितना अधिक हो सके फैलाईए भीतर की तरफ गहरी सांस लें और धीरे-धीरे आगे की ओर अपर बॉडी को इतना झुकाए कि पेट दोनों जांघों के बीच आ जाए कमर के पीछे वाले हिस्से में त्रिक-अस्थि को चौड़ा करते हुए कूल्हे को सिकोड़कर कर नाभि की तरफ खींचने का प्रयास करें। दोनों हाथों को घुटने की सीध में आगे की ओर फैलाएं दोनों कंधों को जमीन से टच करने का प्रयास करें जिससे पेट में खिंचाव जैसा महसूस हो इसी पोजीशन में करीब 30 मिनट तक रहे और फिर धीरे-धीरे पर्वत अवस्था में आ जाएं।


इस योग से भी डिप्रेशन में बहुत लाभ होता है। यह मन को शांति और सुकून प्रदान करने वाला है। नर्वस सिस्टम को रेगुलेट करने के साथ ही यह योग पीठ, कमर, घुटने और पेट आदि।  के लिए भी लाभकारी होता है।



IV. विपरीत करणी योगासन (Leg up the wall pose) -


1. इस योग को करने के लिए किसी समतल सतह पर चटाई या दरी बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।


2. अब अपनी अपर बॉडी (सिर और पीठ) को जमीन पर टिकाए रखते हुए दोनों पैरों को सीधा रखते हुए धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं और सामने की दीवार पर टिकाएं।


3. दोनों पैरों के बीच लगभग 1 फीट की दूरी बनाकर रखें।


4. यदि आप चाहें तो कमर के नीचे सपोर्ट के लिए किसी कंबल को फोल्ड करके लगा सकते हैं।


5. इस दौरान दोनों हाथों को जमीन पर आराम से फैला कर रखें।


6. इस दौरान अपनी आंखों को बंद रखें और ऐसी अवस्था में 5 मिनट रहकर शरीर को रिलैक्स होने दें।


जो योगासन शरीर को रिलैक्स करके अवसाद या डिप्रेशन को दूर करने में मदद करता है यह नींद से जुड़ी परेशानियों में भी लाभदायक है। यह मस्तिष्क को रिजूवनेट करने के साथ-साथ रक्त परिसंचरण तंत्र को भी स्टिम्युलेट करने में मदद करता है। यह योग पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने और उनके  विकारों को दूर करने में भी लाभकारी है। इससे गर्दन पीठ और  कंधों में होने वाले तनाव या की  खिंचाव में आराम मिलता है साथ हीं यह महिलाओं के उन दिनों की  तकलीफ कम करने में भी  फायदेमंद है।


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V. शवासन (Corpse Pose) -

1. इस योग को करने के लिए सबसे पहले समतल भूमि पर मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।


2. दोनों नेत्रों को बंद करके दोनों पैरों को अलग-अलग फैलाएं और एकदम रिलैक्स छोड़ दें।


3. दोनों हाथों को भी बाहर की ओर फैलाकर रिलैक्स छोड़ दें, हथेलियों को खुला रखें।


4. अब अपना ध्यान एकाग्रचित्त करके शरीर के प्रत्येक अंग की क्रियाविधि पर ध्यान दें।


5. इसकी शुरुआत पैर की तरफ से करें और मानसिक रूप से सभी अंगो का निरीक्षण करते हुए मस्तिष्क तक पहुंचें।


6. इस दौरान सांसो को धीमा रखें और सांसो को भीतर लेते समय ऑक्सीजन को ऊर्जा के रूप में पूरे शरीर में फैलता हुआ महसूस करें।


7. इस दौरान सोएं बिल्कुल नहीं, यदि आलस होने लगे या नींद आने लगे तो सांसो की गति थोड़ी बढ़ा दें।


इस आसन को सबसे आखिर में किया जाता है।


VI. कुछ उपयोगी प्राणायाम (Some Useful Pranayam) -


इन योगासन के अतिरिक्त कुछ प्राणायाम भी हैं, जिन्हें करने से डिप्रेशन काफी लाभ होता है।


इनमें अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भ्रामरी और भस्त्रिका आदि प्राणायाम शामिल है। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन 10 से 15 मिनट 'ॐ' शब्द का उच्चारण करने से भी अवसाद या डिप्रेशन में उल्लेखनीय रूप से फायदा होता है। साथ ही इससे शरीर में नवीन ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है, जो अवसाद से निपटने के लिए अत्यंत आवश्यक है।


2. डिप्रेशन में लाभकारी आहार (Healthy Food To Relieve Depression) -


हालांकि यह दावे के साथ तो नहीं कहा जा सकता कि किसी भोजन विशेष से डिप्रेशन ठीक हो जाएगा। लेकिन कुछ खास चीजों को यदि आप अपनी डाइट में शामिल करते हैं तो ये आपके मूड को सुधारने में मदद जरूर कर सकते हैं।


उनमें पालक कद्दू ब्रोकली एप्रिकॉट, गाजर, पीच, शकरकंद सभी सिट्रस फल जैसे संतरे ग्रेपफ्रूट नींबू आदि साथ ही विटामिन सी से भरपूर अन्य चीजें जैसे कीवी कैप्सिकम टमाटर शिमला मिर्च अमरूद एवं स्ट्रॉबेरी आदि। विटामिन ई से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे बादाम मूंगफली पिस्ता एवोकाडो हरे पत्ते वाली सब्जियां गेहूँ के अंकुर एवं वेजिटेबल ऑइल्स इत्यादि का सेवन भी आवश्यक है।


साथ ही प्रोटीन से भरपूर आहार जैसे बींस मटर इन दूध दही पनीर एवं अन्य लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स, सोया उत्पाद, लीन मीट और मछली इत्यादि का सेवन फायदेमंद है।


इनके अलावा ओमेगा 3 से भरपूर आहार जैसे फैटी फिश (सालमन, ट्यूना, मैकरल इत्यादि), तीसी, अखरोट, सोयाबीन तेल और गाढ़ी हरी पत्तेदार सब्जियां इत्यादि का सेवन लाभदायक है।


इन सभी के अतिरिक्त शरीर में विटामिन D का संतुलन भी आवश्यक है। इसके लिए विटामिन D से युक्त आहार जैसे मशरूम, फैटी फिश (सालमन, ट्यूना, मैकरल इत्यादि), अंडे की जर्दी और कॉड लिवर ऑयल इत्यादि को अपने भोजन में शामिल कर लें। साथ ही सुबह की धूप भी जरूर लें।


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3. खुद को व्यस्त रखने का प्रयास (Keep Yourself Busy With Something Productive) -


इस संदर्भ में एक लोकोक्ति भी प्रासंगिक है, जो है, "खाली दिमाग शैतान का घर होता है"। इसलिए अगर किसी वजह से आपकी लाइफ में कोई अनएक्सपेक्टेड गैप रह गया है, तो उस खाली जगह को भरने का भरसक प्रयास करें।


कहने का मतलब यह है कि बीती बातों के बारे में सोचने और अपने आप को बेतुकी ख्यालों में उलझाए रखने की बजाय कुछ तर्कसंगत काम करें, जो आपके जीवन को सही दिशा में ले जा सके।


हमेशा याद रखें कि किसी भी परिस्थिति में हमारे पास सही विकल्प की कमी नहीं होती है, बस उसे अलग-अलग दृष्टिकोण से देखने की जरूरत होती है।


4. दूसरों की मदद करें (Give A Selfless Help To Others) -


यदि आप सोच रहे हैं कि दूसरों की मदद करने से भला डिप्रेशन में क्या फर्क पड़ेगा, तो आपको बता दें कि यदि आप बिना किसी स्वार्थ या निजी हित को ध्यान में रखकर दूसरों की मदद या परोपकार करेंगे, तो इससे बड़ा संतोष या सैटिस्फेक्शन शायद हीं दुनिया में कोई और होगा।


यकीन मानिए यह आपके हारे हुए मन के अंदर के उत्साह को कई गुना बढ़ा देगा, जो डिप्रेशन को दूर करने में एक कारगर हथियार साबित हो सकता है।


5. प्रकृति का सान्निध्य (Be Contiguous To Nature And Feel It ) -


प्रकृति हमारी जननी है, इसलिए इनके सानिध्य में आकर प्रत्येक मनुष्य या जीव-जंतु चिंता मुक्त एवं निश्चिंत हो जाते हैं। इसके लिए आपको प्रकृति की सुंदरता को महसूस करना होगा और अपने भीतर इसके प्रति लगाव और सहानुभूति को जगाना होगा।


इसके लिए भी बड़ा सरल उपाय है। आप वृक्षारोपण करें और प्रकृति संरक्षण की दिशा में अपनी तरफ से कुछ ना कुछ प्रयास करें। ऐसे में यदि आप प्रकृति अर्थात नेचर से अपने मन का जुड़ाव कर लेते हैं तो इससे आप के अंतर-मन में अपार शांति की अनुभूति होती है, जो डिप्रेशन, तनाव या चिंता को दूर करने का एक साधन सिद्ध होती है।


6. ज्ञान के दृष्टिकोण से देखें (See It From A Logical Point Of View) -


यदि ज्ञान के दृष्टिकोण से देखें तो हमें जीवन में मिलने वाला सुख-दुःख, नफा-नुकसान, हार-जीत, सफलता-असफलता, पाना या खोना ये सभी हवा के झोंकों की तरह हैं, जो आते और जाते रहते हैं। कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता। ये सभी हमारे जीवन का एक हिस्सा हैं, ना कि पूरा जीवन।


इसलिए अपने अच्छे दिनों को याद करके हमेशा उसके ख्यालों में लिप्त रहना, या फिर अपने बुरे समय के लिए खुद को हमेशा कोसते रहना मूर्खों का काम है। केवल इन्हीं के पीछे भागने या इनको पकड़ कर बैठे रहने का नाम जिंदगी नहीं है। जीवन बहुत ही व्यापक है और इसका लक्ष्य विशाल। इसी को ध्यान में रखकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि एक कर्मवीर मनुष्य के लिए उम्मीद की नई सुबह हमेशा उसका इंतजार कर रही होती है।

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