वज्रासन एक ऐसा योग आसन है, जिसे करने से शरीर को मजबूती प्राप्त होती है। साथ हीं अन्य ढरों लाभ प्राप्त होते हैं। इसको 'वीरासन' भी कहा जाता है। इस योगासन का हठयोग में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इसका अभ्यास स्त्री व पुरुष सभी लोग कर सकते हैं। आमतौर पर अधिकतर योग आसन खाली पेट किया जाता है, लेकिन वज्रासन को भोजन के बाद भी किया जा सकता है। शास्त्रों में भी इसका काफी महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस योगासन की सहायता से कुंडलिनी की शक्ति को विकसित करने में काफी सहायता प्राप्त होती है।
अब आइए जानते हैं कि वज्रासन योग (Vajrasana Yoga) को करने की विधि क्या है और साथ ही इससे जुड़े लाभ कौन-कौन से हैं।
वज्रासन करने की विधि (Vajrasana Yoga Steps) -
इस योग आसन को करने के लिए सबसे पहले अपनी योगा मैट पर सामान्य अवस्था में बैठ जाएं। इसके बाद अपने दाहिने पांव के घुटने को मोड़कर पंजे को पीछे की तरफ दाहिने नितंब के नीचे ले जाएं। एड़ी को अपने शरीर से लगाकर और पंजे को ऊर्ध्वमुखी यानी ऊपर की तरफ रखें।
Vajrasana Yoga |
इस प्रक्रिया के दौरान अपने घुटनों एवं पैर की उंगलियों को भूमि के सतह से लगा कर रखें। दाहिने पैर की तरह ही अपने बाएं पैर को घुटने से मोड़कर पंजे को पीछे नितंब तक ले जाएं। यहां ध्यान रखें कि दोनों घुटने एक दूसरे से मिले रहें और पैर के तलवे अलग रहें।
अब अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ फैला कर अपने हथेलियों को घुटनों के ऊपर रख दीजिए और फिर शरीर का समस्त भार एड़ियों एवं पंजों के ऊपर डालें। ध्यान रखें कि इस दौरान आपके कमर (रीढ़ की हड्डी), गर्दन और सिर एकदम सीधी होनी चाहिए। इसके बाद पूरे शरीर को स्थिर करके अपनी दृष्टि को नाक के अग्रभाग पर जमा लीजिए और इस दौरान श्वास को सामान्य रखते हुए हवा अंदर भरें और सीने को फुलाएं। इस प्रक्रिया को दोहराते रहें और लगभग 10 से 15 मिनट तक इस योग को करें। इस योग को आप दोपहर एवं रात्रि के भोजन के पश्चात भी कर सकते हैं।
वज्रासन योग करने के लाभ (Vajrasana Yoga Benefits) -
1. वज्रासन करने से पंजे घुटने, जांघ, पीठ, कमर व रीढ़ की हड्डी एवं पिंडलियों को मजबूती प्राप्त होती है। साथ हीं यह आंखों की ज्योति बढ़ाने में भी सहायक होता है।
2. इस योग को करने का एक और बड़ा लाभ यह भी है कि ये हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायता करता है। इससे भोजन के पाचन में तेजी आती है। वज्रासन करने के दौरान आँत पर जो दबाव पड़ता है, उससे पेट की दूसरी समस्याएं जैसे पेट दर्द व गैस आदि भी दूर होते हैं।
3. भोजन करने के बाद कुछ देर तक आसन को करने से हमारी नाड़ियां प्रभावी रूप से ऊर्ध्वगामी रहती हैं। इससे गठिया या साइटिका की समस्या दूर रहती है।
4. इसके अलावा ये योग आलस को दूर करता है तथा मन को एकाग्रचित्त करके स्मरण शक्ति में वृद्धि करने और भूलने की आदत सुधारने में भी सहायता करता है। साथ ही ये मन से नकारात्मक विचारों को दूर करने में भी प्रभावी है।
5. ऐसे भी मान्यता है कि युवाओं द्वारा इस अवस्था में बैठकर कंघी करने से बाल असमय सफेद नहीं होते।
6. यह लीवर के फंक्शन को सुचारू बनाए रखने में भी सहायता करता है, जिससे जौंडिस पीलिया जैसे रोग दूर रहते हैं।
7. वज्रासन योग (Vajrasana Yoga) से फेफड़े मजबूत बनते हैं, जिससे सांस संबंधी विकार जैसे दमा, तपेदिक इत्यादि दूर रहते हैं।
सावधानी (Caution) -
स्लिप डिस्क की समस्या वाले अथवा पंजे व घुटने की समस्या से ग्रस्त लोगों वज्रासन योग को करने से परहेज करना चाहिए, अथवा बेहद सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
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